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अधर में लटकी 14 परियोजनों के 7000 होम बायर्स को जल्द मिलेगा उनके सपनों का घर : रेरा अध्यक्ष

प्रकाशित 12/10/2022, 05:34 am
© Reuters.  अधर में लटकी 14 परियोजनों के 7000 होम बायर्स को जल्द मिलेगा उनके सपनों का घर : रेरा अध्यक्ष

नोएडा, 11 अक्टूबर, (आईएएनएस)। लाखों करोड़ों रुपये लगाकर अपने घर का सपना देख रहे लाखों बायर्स आज भी इस इंतजार में हैं कि उन्हें जल्द से जल्द उनके सपनों का घर मिले। उत्तर प्रदेश में रेरा के आने से लोगों को काफी आस जगी है। रेरा ने भी कई महत्वपूर्ण फैसलों के जरिए हजारों लोगों को अब तक राहत पहुंचाई है। रेरा से जुड़े कई सवालों पर आईएएनएस के विशेष संवाददाता से बात करते हुए उत्तर प्रदेश रेरा अध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि रेरा के आने के बाद बिल्डर को अब उसकी लक्ष्मण रेखा पता चल चुकी है। इसीलिए वह जल्द से जल्द बायर्स को उनका घर देकर उस लक्ष्मण रेखा से बाहर जाना चाहता है।

उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत में रेरा से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

सवाल : रेरा से अब तक कुल पंजीकृत परियोजनाएं और उनके एजेंट की संख्या कितनी है?

जवाब : अब तक 3300 से अधिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट और 5500 से अधिक रियल एस्टेट एजेंट उत्तर प्रदेश रेरा में पंजीकृत हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश रेरा में 2057 ऑनगोइंग तथा 1249 नवीन परियोजनाएं पंजीकृत हैं। ऑनगोइंग परियोजनाओं से तात्पर्य दिनांक 01.05.2017 को ऑनगोइंग परियोजनाओं से है। इनमें से 1070 परियोजनाएं (52) प्रतिशत एनसीआर के 8 जनपदों, मुख्य रूप से गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ तथा हापुड़ में हैं। 987 परियोजनाएं (48.01) प्रतिशत प्रदेश के अन्य 67 जनपदों में पंजीकृत हैं। जिनमें से 399 परियोजनाएं (19.40) प्रतिशत जनपद लखनऊ में हैं।

नवीन परियोजनाओं से तात्पर्य 1.5.2017 के बाद पंजीकृत होने वाली परियोजनाओं से है। 1247 नवीन परियोजनाओं में से 464 परियोजनाएं (37) प्रतिशत एन.सी.आर. में तथा 783 परियोजनाएं (63) प्रतिशत नॉन-एन.सी.आर. के जनपदों में हैं। पिछले एक वर्ष में एन.सी.आर. क्षेत्र में 74 नवीन परियोजनाएं तथा नॉन-एन.सी.आर. क्षेत्र में 139 नवीन परियोजनाएं पंजीकृत हुई हैं। वहीं यह देखा जा सकता है कि रियल इस्टेट सेक्टर एन.सी.आर. के बाहर के जनपदों, विशेष रूप से लखनऊ, वाराणसी तथा गोरखपुर में अपेक्षाकृत अधिक गति से बढ़ रहा है। पिछले कुछ समय से सेक्टर ने पुन: गति प्राप्त की है। हाल के महीनों, विशेष रूप से कोविड-19 पैंडेमिक के बाद, यह देखा जा रहा है कि एन.सी.आर. क्षेत्र में नवीन परियोजनाओं के पंजीकरण की संख्या अपेक्षा के अधिक है। जहां वर्ष 2017 में एनसीआर और नॉन-एनसीआर के बीच पंजीकृत परियोजनाओं का अनुपात 50:50 था, वर्तमान में यह अनुपात 37:67 है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि नॉन एन.सी.आर. में कुल पंजीकृत 783 नवीन परियोजनाओं में से 679 (86 फीसदी) परियोजनाएं नॉन-एनसीआर के 11 जनपदों, क्रमश: लखनऊ-280, आगरा-59, वाराणसी-52, बरेली-52, प्रयागराज-50, कानपुर नगर-47, झांसी-38, मथुरा-वृंदावन-31, बाराबंकी-29, गोरखपुर-23 तथा मुरादाबाद-18, में हैं।

यूपी रेरा में पंजीकृत 2057 ऑनगोइंग परियोजनाओं के सापेक्ष 1300 (लगभग 65 प्रतिशत) परियोजनाएं पूर्ण हो गई हैं।

सवाल : बहुत सारी परियोजनों में स्थिति गंभीर है, परियोजन पूर्ण होने की स्थिति नहीं दिखाई दे रही है, ऐसे में क्या करेगा रेरा?

जवाब : कुछ ऐसी परियोजनाएं भी हैं जो वायबल नहीं रह गई हैं और वो एनसीलटी के माध्यम से ही सुलझाई जा सकती है। जबकि कुछ परियोजनाए ऐसी भी है जो समय के साथ वायबल हो गई हैं और अब प्रोमोटर तथा घर खरीदार भी निर्माण कराने के पक्ष में एक साथ इकट्ठा हो रहे हैं, क्योंकि उनको ये समझ आ रहा है कि परियोजना के निर्माण में ही फायदा है।

सवाल : शिकायतों के निरकारण की क्या स्थिति है?

जवाब : यूपी रेरा में आवंटियों द्वारा 45700 शिकायतें दायर की गई हैं, यह देश में योजित समस्त शिकायतों का 38 प्रतिशत हैं। यूपी रेरा द्वारा रियल एस्टेट सेक्टर की समस्त शिकायतों के लगभग एक तिहाई बोझ को अकेले अपने कंधों पर सफलतापूर्वक उठाया गया है। यूपी रेरा द्वारा 40500 शिकायतों का निस्तारण किया गया है, यह देश में निस्तारित समस्त शिकायतों का 40 प्रतिशत है।

सवाल : घर खरीदार आदेश मिलने के बाद भी खाली हाथ होते हैं। ऐसे आदेशों के लिए रेरा क्या कर रहा है?

जवाब : यूपी रेरा में आदेशों के कार्यान्वयन के दो चैनल हैं। रिफंड या अन्य भुगतान संबंधी आदेशों के प्रोमोटर द्वारा अनुपालन के लिए निर्धारित तिथि व्यतीत होने के बाद शिकायतकर्ता द्वारा यूपी रेरा की वेबसाइट पर ऑनलाइन रिक्वेस्ट फॉर एग्जीक्यूशन ऑफ आर्डर फाइल किया जा सकता है। इस प्रकार का अनुरोध प्राप्त होने पर सचिव द्वारा शिकायतकर्ता को देय धनराशि की वसूली जिलाधिकारी को वसूली प्रमाण पत्र प्रेषित किया जाता है और वसूली के बाद धनराशि प्राप्त होने पर शिकायतकर्ता के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से अंतरित कर दी जाती है।

सवाल : प्रशासन में वसूली का सबसे ताकतवर नुस्खा क्या है?

जवाब : रिकवरी सर्टिफिकेट है, जिसका इस्तेमाल रेरा द्वारा किया जाता है। अगर रिकवरी की बात करे तो वर्ष 2018 में 48 करोड़ की थी । उसके बाद के वर्षो में कोविड-19 के कारण रिकवरी घट के 32 करोड़ की रह गई। लेकिन अब 2021 में वसूली बढ़कर 121 करोड़ की रही और अभी 2022 में 176 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है।

यूपी रेरा में सभी प्रकार के आदेशों के सापेक्ष अब तक 12400 मामलों में आदेश के कार्यान्वयन के लिए अनुरोध प्राप्त हुआ है, जिसके सापेक्ष रेरा की पीठों तथा सचिव के स्तर से लगभग 8700 मामलों में आदेश का अनुपालन करा दिया गया है, जो कि प्राप्त अनुरोध के सापेक्ष लगभग 70 प्रतिशत है। शिकायतों की सुनवाई के दौरान ही रेरा की पीठों द्वारा तथा रेरा द्वारा लखनऊ तथा एनसीआर में स्थापित कन्सिलिएशन फोरम के स्तर से लगभग 5400 मामलो का आपसी समझौते के आधार पर मैत्रीपूर्ण समाधान कराया गया है, जिसमें निहित परिसम्पित्तियों का मूल्य लगभग 2020 करोड़ रुपये है।

सवाल : डिफाल्टर प्रोमोटर्स के विरुद्ध क्या कार्रवाई की जा रही है?

जवाब : अधिनियम के अधीन चूक के लिए धारा-7 के अंतर्गत 31 प्रोमोटर्स की 73 परियोजनाओं का पंजीकरण निरस्त किया गया। परियोजना के पंजीकरण के बिना प्रोमोशन तथा मार्केटिंग/रेरा अधिनियम के प्राविधानों के विपरीत प्रमोशन तथा मार्केटिंग के लिए 19 प्रोमोटर्स/एजेंट्स के विरुद्ध धारा-3/59 के अंतर्गत 40 करोड़ रुपये अर्थदंड लगाया गया। परियोजनाओं का क्यूपीआर समय से नहीं फाइल करने के कारण 1088 परियोजनाओं के प्रोमोटर्स के विरुद्ध धारा-61 के अंतर्गत 18.20 करोड़ रुपये अर्थदंड लगाया गया।

यूपी रेरा के आदेशों के उल्लंघन के लिए धारा-63 के अंतर्गत 81 प्रोमोटर्स के विरुद्ध 24 करोड़ रुपये अर्थदंड लगाया गया। गौतमबुद्धनगर की उन्नति फॉर्च्यून कंपनी तथा लखनऊ के आर सन्स कंपनी के विरुद्ध एसआईटी जांच की संस्तुति की गई। यूपी रेरा द्वारा अधिनियम की धारा-8 का उपयोग करते हुए फंसे हुए होम बायर्स के लिए आवासीय परियोजना को पूर्ण करने के लिए एक नया माध्यम उपलब्ध कराया गया है। ऐसी 14 परियोजनाओं में से पहली परियोजना जे.पी. ग्रीन्स कैलिप्सो कोर्ट (फेज-2), जिसमें 148 इकाइयां हैं, नोएडा अथॉरिटी द्वारा ओ.सी. प्रदान करने के साथ सफलतापूर्वक पूर्ण हो गई है। इन 14 परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 7000 आवंटियों को उनके वर्षो से प्रतीक्षित आवास प्राप्त हो सकेंगे।

सवाल : सबसे बड़े डिफॉल्टर्स से जुड़े बायर्स का क्या हो रहा है?

जवाब : इस क्षेत्र में जो सबसे बड़े डिफॉल्टर वे हैं जो सबसे बड़े ग्रुप माने जाते थे। जैसे आम्रपाली ग्रुप जिनकी परियोजनाएं अब माननीय सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में पूरी की जा रही है, जयप्रकाश इन्फ्रस्ट्रक्चर लिमिटेड (जिल) जो अभी भी एनसीएलटी में लंबित है और सुपरटेक जो अभी एनसीलटी में चल रहा है।

सवाल : एनसीलटी की प्रक्रिया में बहुत से प्रॉजेक्ट का रजिस्ट्रेशन लैप्स हो जाता है। ऐसे प्रॉजेक्ट का रेसोल्यूशन होने के बाद रेरा कैसे मदद करता है?

जवाब : सबसे पहले आईआरपी की नियुक्ति के बाद निर्माण कार्य के लिए जो भी जरूरी अनुमोदन की आवश्यकता होती है वो मैनेजमेंट या आईआरपी की जिम्मेदारी होती है। ऐसी किसी भी अनुरोध को रेरा पूर्ण सहयोग देता है चाहे वो रजिस्ट्रेशन का हो या रेरा से जुड़े किसी और मामलें का। दूसरा, नया मैनेजमेन्ट या आईआरपी आने के बाद एनसीलटी की प्रक्रिया में व्यतीत समय को रेरा अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार एक्सटेंशन देते समय विचार करते हैं।

सवाल : बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बात करे तो क्या बैंकों की प्राथमिकता को घर खरीदारों की प्राथमिकता के उपर रखा जाना चाहिए?

जवाब : इस मामलें में माननीय सुप्रीम कोर्ट का राजस्थान रेरा से जुड़ा एक निर्णय आया है जो मैं आपसे शेयर करना चाहूंगा। अगर एक यूनिट पर किसी घर खरीदार का लोन किसी बैंक से है तो उस यूनिट या प्रॉपर्टी पर घर खरीदार के हक को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का फायदा घर खरीदारों को मिला है, जिससे उनके हितों की रक्षा करने में मदद मिली है।

--आईएएनएस

पीकेटी/एसजीके

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