लखनऊ, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने की मिठास बढ़ा दी है। अब राज्य में ग्रीन गोल्ड की राह पर गन्ना चल पड़ा है। सरकार ने गन्ने के प्रति हेक्टेयर उत्पादन, चीनी उत्पादन और कोरोना काल में सभी चीनी मिलों के संचलन के मामले में रिकॉर्ड बनाया है।विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार 18 अक्टूबर 2022 तक 179664.70 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है। यह 2012 से 2017 की तुलना में 8445 करोड़ रुपये अधिक और 2007 से 2012 की तुलना में 127534 करोड़ रुपये अधिक है।
योगी सरकार द्वारा गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड एवं समयबद्ध भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया, प्रति कुंतल दाम में वृद्धि, खांडसारी इकाइयों के लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण जैसी नीतियों के कारण आने वाले समय में गन्ने की मिठास का और बढ़ना तय है।
सरकार ने सबसे ज्यादा जोर पुरानी मिलों के आधुनिकीकरण और नयी मिलों की स्थापना पर दिया। इस क्रम में करीब दो दर्जन मिलों की क्षमता बढ़ाई गई। गोरखपुर के पिपराइच, बस्ती के मुंडेरा और बागपत के रमाला में अत्याधुनिक और अधिक क्षमता की नई मिलें लगाई गईं ।
उल्लेखनीय है कि बसपा और सपा शासन काल में 2007 से 2017 के दौरान बंद होने वाली 29 मिलों के मद्देनजर नई मिलों को खोलना और पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम रहा ।
स्थानीय स्तर पर गन्ने की पेराई हो, इसके लिए 25 साल बाद पहली बार किसी सरकार ने 100 घंटे के अंदर खांडसारी इकाइयों को ऑनलाइन लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था की। इसके दायरे में पहले से चल रही इकाइयां भी थीं। सरकार के अनुसार मौजूदा समय में 284 से अधिक इकाइयों को लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है। इनकी कुल पेराई क्षमता 15 चीनी मिलों के बराबर है।
लोग गुड़ के गुण और स्वाद को जानें, इसके लिए सरकार ने मुजफ्फरनगर एवं लखनऊ में गुड़ महोत्सव का आयोजन किया। प्रसंस्करण के जरिए गुड़ को और उपयोगी बनाने के लिए सरकार ने गुड़ को मुजफ्फरनगर और अयोध्या का एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित कर रखा है।
मीलर्स को चीनी का अधिक दाम दिलाने के लिए गोरखपुर के पिपराइच और बस्ती के मुंडेरा मिलों में सल्फरमुक्त चीनी बनाने का काम भी शुरू किया गया। ऊर्जा के मामले में मिलें आत्म निर्भर बनें, इसके लिए उनमें को-जेनरेशन प्लांट भी लगाए जा रहे हैं। सरकार ने लाखों किसानों के हित में प्रति कुंतल गन्ने का दाम 325 से 350 रुपये कर दिया।
यूपी सरकार के प्रयास से 2020-2021 में 107.21 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ। 2021-2022 में 160 करोड़ लीटर उत्पादन का अनुमान है। 2016-2917 में एथनॉल का उत्पादन सिर्फ 43.25 करोड़ लीटर था। इसी तरह आसवनियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। 2016-2017 में इनकी संख्या 44 थी, जो 2022-2022 में बढ़कर 78 हो गई।
मुख्यमंत्री योगी का निर्देश है कि जब तक खेत में किसानों का गन्ना है, तब तक उस क्षेत्र की मिल को चलना है। चीनी मिलों की बढ़ी संचलन अवधि की वजह से गन्ने की खरीद भी बढ़ी। मसलन 2014-2015 में गन्ना मिलों ने 744.83 लाख टन गन्ना खरीदा था। 2021- 2022 में यह बढ़कर 1016.33 लाख टन हो गया। इसी समयावधि में गन्ने का उत्पादन 1389.02 लाख टन से बढ़कर 2272.19 टन हो गया।
उप्र देश का सर्वाधिक गन्ना उत्पादक राज्य है । देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसद एवं उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 38 फीसद उप्र में होता है । देश में 520 चीनी मिलों से 119 उत्तर प्रदेश में हैं। करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं।
--आईएएनएस
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