नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के दौरे पर आए अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश एक ऐसे समय में, जहां कुछ देश व्यापार को एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर रहे हैं, आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों को कम करने के लिए फ्रेंडशोरिंग नामक एक रणनीति का उपयोग कर रहा है।येलेन ने नोएडा में माइक्रोसॉफ्ट (NASDAQ:MSFT) के कार्यालय में अपने संबोधन में यह बात कही। यहां उन्होंने कई तकनीकी दिग्गजों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा हमें अपने वैश्विक आर्थिक एकीकरण को सख्ती से बढ़ावा देना चाहिए और इसके लाभों को प्राप्त करना जारी रखना चाहिए। मेरा मानना है कि हमें व्यापार में आने वाली बाधाओं का भी खयाल रखना चाहिए। हाल की बाधाओं ने दोनों देशों में कीमतों को बढ़ाने में योगदान दिया है।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण उत्पन्न व्यवधानों का उदाहरण देते हुए येलेन ने कहा, लंबे समय से दुनिया भर के देश अपनी जरूरतों के लिए एक ही स्रोत पर ज्यादा निर्भर रहे हैं। ऊर्जा के लिए रूस पर अत्यधिक निर्भरता से अब अवरोध उत्पन्न होने पर देशों को कठिनाई से जूझना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोप के लोगों के खिलाफ रूस की प्राकृतिक गैस आपूर्ति को हथियार बना दिया है। ऐसे लोग अपने बाजार की स्थिति का उपयोग भू-राजनीतिक लाभ हासिल करने या व्यापार को बाधित करने के लिए कर सकते हैं।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि अमेरिका फ्रेंडशोरिंग नामक दृष्टिकोण का अनुसरण कर रहा है, ताकि उन देशों से दूर हो सके जो आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर भू-राजनीतिक और सुरक्षा जोखिम पेश करते हैं।
उन्होंने कहा, ऐसा करने के लिए हम भारत जैसे विश्वसनीय व्यापारिक भागीदारों के साथ सहयोग और गहरा कर रहे हैं। हमारी रणनीति अति-एकाग्रता जोखिमों को कम करना है।
येलेन ने जोर देते हुए कहा, हम देशों के बड़े समूह के साथ एकीकरण चाहते हैं, जिससे हम विकासशील देशों और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं पर समान रूप से भरोसा कर सकते हैं। वास्तव में हमारे फ्रेंडशोरिंग दृष्टिकोण के हिस्से में विकासशील देशों के साथ स्थानीय उद्योगों को विकसित करने और उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ने के लिए भागीदारी शामिल है।
ट्रेजरी सचिव ने कहा कि एशिया से लेकर यूरोपीय संघ तक के क्षेत्रों में नई आपूर्ति श्रृंखला विकसित हो रही है।
उन्होंने कहा, हम यह भी संकेत देख रहे हैं कि पश्चिमी कंपनियां चीन से परे अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता ला रही हैं। अमेजॅन और गूगल जैसी कंपनियां भारत और वियतनाम में निवेश कर रही हैं। ऐप्पल ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह चीन से आईफोन निर्माण को भारत में स्थानांतरित कर रहा है।
--आईएएनएस
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