नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)। परामर्श, प्रबंधन और स्थायी पहलों को क्रियान्वित करने में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनी द ग्रीनबिलियंस लिमिटेड (टीजीबीएल) ने बायोमास और नगरपालिका के ठोस कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन निकालने के मकसद से भारत में पहला संयंत्र स्थापित करने के लिए पुणे नगर निगम (पीएमसी) के साथ अपने सहयोग की घोषणा की है।टीजीबीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी वैरिएट पुणे वेस्ट टू एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (वीपीडब्ल्यूटीईपीएल) 30 साल की अवधि तक हाइड्रोजन पैदा करने के लिए पुणे के 350 टीपीडी नगरपालिका कचरे का प्रबंधन और उपयोग करेगी।
इस परियोजना का उद्देश्य एक अग्रणी पहल के रूप में नगरपालिका के ठोस कचरे से स्वच्छ हाइड्रोजन निकालना है। कंपनी भविष्य में इसी तरह के संयंत्रों को लागू करने और स्थापित करने के लिए भारतभर में अन्य राज्यों की नगर पालिकाओं के साथ भी चर्चा कर रही है।
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल), भारत सरकार का एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम, परियोजना प्रबंधन के बारे में परामर्श प्रदान करेगा और द ग्रीनबिलियंस लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी वेरिएट पुणे वेस्ट टू एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, पुणे की नगरपालिका पुनर्चक्रण योग्य कचरे को हाइड्रोजन में परिवर्तित करने के लिए परियोजना लागू करेगी।
कचरे से प्राप्त अपशिष्ट ईंधन (आरडीएफ) का बाद में प्लाज्मा गैसीकरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाएगा। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के साथ मिलकर तकनीक विकसित की गई है।
महात्मा फुले रिन्यूएबल एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी (एमएएचएपीआरआईटी), महाराष्ट्र सरकार का एक उपक्रम है, जिसने इस संयंत्र में उत्पन्न हाइड्रोजन को हटाने और इसके लिए उद्योगों को हाइड्रोजन परिवहन के लिए लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।
परियोजना के पहले चरण के लिए एमएएचएपीआरआईटी ने महाराष्ट्र प्राकृतिक गैस लिमिटेड - गेल (NS:GAIL) (इंडिया) लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम (NS:BPCL) कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के संयुक्त उद्यम के साथ साझेदारी करके पुणे में शहर के गैस वितरण नेटवर्क में सम्मिश्रण का प्रस्ताव रखा है।
एमएएचएपीआरआईटी और गेल के संयुक्त प्रयास प्रस्तावित हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना को शहर के कचरे से उत्पन्न हाइड्रोजन के साथ एक परिपत्र अर्थव्यवस्था के लिए एक बेंचमार्क सेट करने में मदद कर सकते हैं और इसके गैस वितरण नेटवर्क में फिर से मिश्रित हो सकते हैं।
द ग्रीनबिलियंस लिमिटेड के पीएचडी, चेयरमैन और संस्थापक प्रतीक कनकिया अनुसार : बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था सभी क्षेत्रों से ऊर्जा की मांग में वृद्धि देख रही है। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए स्थिति ने भारतीय ऊर्जा भंडार पर बहुत दबाव डाला है। इसने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की पहचान करने और विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, मुख्य रूप से हरित और स्वच्छ स्रोत, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की बढ़ती मांग के साथ देश में स्वच्छ हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए विकल्प खोजना जरूरी है। हम मानते हैं कि कुशल कचरा संग्रह और ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली गुणवत्तापूर्ण शहरों के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से भारत के कई शहरों में अस्थिर कचरा प्रबंधन रहने की जगह को प्रभावित करता है। पुणे नगर निगम के साथ हमारा जुड़ाव इन मांगों को कम करने की दिशा में एक कदम आगे है।
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआइएल) ने एक आधिकारिक बयान में कहा है : इस परियोजना के साथ पुणे शहर 2.5 मिलियन मीट्रिक टन सीओ2ई तक कम कर सकता है, 3.8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कचरे को लैंडफिल से हटा दिया जाएगा और लगभग 1,80,000 अनुमानित घरों को नगर ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) अन्यथा निचले शहरी क्षेत्रों में डंप किया जा रहा है, इससे हर दिन 689.5 घन मीटर जगह और प्रतिवर्ष 25.16 हेक्टेयर कीमती भूमि की बचत होगी।
इस कचरे में बायोडिग्रेडेबल, नॉन-बायोडिग्रेडेबल और घरेलू खतरनाक कचरा शामिल होगा और ऑप्टिकल सेंसर तकनीक का उपयोग करके पुणे स्थित द ग्रीनबिलियंस के संयंत्र में अलग किया जाएगा।
संयंत्र से गीले कचरे का उपयोग ह्यूमिक-एसिड समृद्ध जैव-उर्वरक उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा, जिन्हें परंपरागत जैव-उर्वरकों से बेहतर माना जाता है और कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
इस परियोजना का उद्देश्य कचरे से हाइड्रोजन उत्पादन की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता को प्रदर्शित करना है।
हाइड्रोजन अपनाने पर भारत सरकार की इस तरह की परियोजनाएं न केवल भारत को डीकाबोर्नाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगी, बल्कि अपशिष्ट निपटान से महत्वपूर्ण उत्सर्जन को भी कम करेंगी।
एक बार हासिल हो जाने के बाद लक्ष्य भारत को स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में मदद करेंगे और हाइड्रोजन महत्वाकांक्षाओं से भी मेल खाएंगे।
--आईएएनएस
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