नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। आंतरिक समिति की रिपोर्ट के आधार पर एयर इंडिया में पेशाब मामले के आरोपी शंकर मिश्रा पर चार महीने के लिए उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के मद्देनजर, उनके कानूनी सलाहकार ने समिति के निष्कर्षों का विरोध किया है और अपील दायर करने की बात कही है।मिश्रा के वकीलों ने कहा, हम आंतरिक जांच समिति के अधिकार और जनादेश का सम्मान करते हैं, लेकिन हम उनके निष्कर्षों से असहमत हैं और पहले से ही अनियंत्रित यात्रियों के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं के अनुसार इस निर्णय को अपील करने की प्रक्रिया में हैं।
मिश्रा पर नशे की हालत में फ्लाइट के अंदर एक बुजुर्ग महिला सहयात्री पर पेशाब करने का आरोप है। विमानन नियामक डीजीसीए ने एयर इंडिया के यूरिनेशन मामले में एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और पायलट-इन-कमांड का लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया है।
इसके अलावा, नियामक ने 26 नवंबर, 2022 को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने के लिए एयर इंडिया की उड़ान सेवाओं के निदेशक पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मामले में अपडेट एयरलाइन द्वारा आंतरिक समिति की रिपोर्ट के आधार पर कथित आरोपी मिश्रा पर चार महीने के लिए प्रतिबंध लगाने के एक दिन बाद आया है।
न्यूयॉर्क से नई दिल्ली आ रही एआई-102 फ्लाइट में यात्रियों के साथ बदसलूकी की घटना चार जनवरी को डीजीसी के संज्ञान में आई। मिश्रा द्वारा दावा किए जाने के बाद कि शिकायतकर्ता ने अपनी ही सीट को गंदा कर दिया था, शनिवार को शिकायतकर्ता ने आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि यह पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत था। उन्होंने कहा, उक्त आरोप पूरी तरह से विरोधाभासी है और बयान बदले हुए हैं, जमानत के लिए वह इस तरह के बयान दे रहा है।
मिश्रा का दावा तब आया है जब सत्र न्यायालय ने उसकी हिरासत का अनुरोध करने वाले दिल्ली पुलिस के आवेदन पर नोटिस जारी किया। पीड़िता ने कहा कि उसका इरादा हमेशा से यह सुनिश्चित करने का रहा है कि संस्थागत बदलाव किए जाएं ताकि किसी भी व्यक्ति को इस तरह के भयानक अनुभव से न गुजरना पड़े। उसने घृणित कार्य के लिए पछताने के बजाय, पीड़िता को और परेशान करने के इरादे से गलत सूचना और झूठ फैलाने का अभियान चलाया है।
13 जनवरी को मिश्रा ने अदालत को बताया कि वह आरोपी नहीं हैं। किसी और ने पेशाब किया या वह खुद हो सकती है। उन्होंने आगे दावा किया कि महिला प्रोस्टेट से संबंधित किसी बीमारी से पीड़ित थी। उन्होंने कहा था, उनकी सीट ऐसी थी कि उस तक केवल पीछे से ही पहुंचा जा सकता था और किसी भी हालत में सीट के सामने वाले हिस्से तक नहीं पहुंच सकता था। साथ ही, शिकायतकर्ता के पीछे बैठे व्यक्ति ने भी ऐसी कोई शिकायत नहीं की।
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