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झारखंड की सत्ताधारी पार्टियों ने भी सरकार से मंडी शुल्क कानून वापस लेने की मांग की, सीएम से मिले झामुमो-कांग्रेस के नेता

प्रकाशित 18/02/2023, 11:52 pm
© Reuters.  झारखंड की सत्ताधारी पार्टियों ने भी सरकार से मंडी शुल्क कानून वापस लेने की मांग की, सीएम से मिले झामुमो-कांग्रेस के नेता
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रांची, 18 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड में अब सत्तारूढ़ पार्टी झामुमो और कांग्रेस ने भी राज्य में सरकार द्वारा लागू किए गए मंडी शुल्क वापस लेने की मांग की है। इसी मांग को लेकर राज्य भर की 28 मंडियों के डेढ़ लाख से ज्यादा व्यापारी पिछले चार दिनों से हड़ताल पर हैं। व्यापारियों ने राज्य के बाहर के सभी तरह के अनाज की आवक बंद कर दी है। हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर और झामुमो के वरिष्ठ नेता विनोद पांडेय एवं फागु बेसरा ने शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मुद्दे को लेकर मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपकर मंडी शुल्क वापस लेने की मांग की।

ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले दिनों झारखंड विधानसभा में बाजार शुल्क से संबंधित विधेयक पारित कराया गया है। इसमें राज्य की कृषि उत्पादन बाजार समितियों यानी मंडियों में खरीदे-बेचे जाने वाले खाद्यान्न एवं खाद्य वस्तुओं पर दो प्रतिशत मंडी शुल्क लागू किया गया है। इसपर राज्यपाल द्वारा स्वीकृति भी दी गयी है। मंडी शुल्क लागू होने से सभी वस्तुओं के उपभोक्ता मूल्य में वृद्धि होने की संभावना है।

कांग्रेस एवं झामुमो के नेताओं ने मुख्यमंत्री से कहा है कि केंद्र सरकार की जीएसटी जैसी जनविरोधी नीतियों से पूर्व से ही राज्य एवं देश की जनता त्रस्त है। ऐसे में दो फीसदी टैक्स लगाने का फैसला वापस लेना जनहितकारी होगा।

इधर मंडी शुल्क के खिलाफ राज्य भर के व्यापारियों का आंदोलन शनिवार को चौथे दिन भी जारी रहा। राज्य भर के राइस मिलर्स और फ्लोर मिल्स संचालक भी इस आंदोलन में शामिल हैं और उन्होंने उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया है।

फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने दावा किया है कि 15 फरवरी से ही कोई भी व्यवसायी बाहर से किसी भी प्रकार का खाद्यान्न नहीं मंगा रहा है। जाहिर है, आंदोलन अगर लंबा खिंचा तो राज्य में खाद्यान्न की किल्लत बढ़ सकती है।

राज्य में चावल को छोड़कर किसी भी खाद्यान्न के मामले में पूर्ण निर्भरता नहीं है। तमाम खाद्यान्न अन्य राज्यों से मंगाये जाते हैं। व्यावसायिक संगठनों के आंकड़े के अनुसार राज्य की मंडियों में प्रतिदिन 3500 टन चावल, 2500 टन गेहूं, 1500 टन आलू, 800 से 1000 टन प्याज, 700 से 800 टन दलहन की खपत है। पिछले चार दिनों से आवक बंद है।

व्यापारियों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने दावा किया है कि इस हड़ताल से सरकार को प्रतिदिन करीब 200 से 250 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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