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खुलने के 100 साल बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को जीर्णोद्धार का इंतजार

प्रकाशित 19/02/2023, 08:24 pm
खुलने के 100 साल बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को जीर्णोद्धार का इंतजार

नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। 1926 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाया गया एक मंजिला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन अब विश्वस्तरीय बनने की तैयारी में है। तीन चरणों में स्टेशन का निर्माण किए जाने की तैयारी है। साल 1926 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अजमेरी गेट और पहाड़गंज के बीच एक मंजिला इमारत और एक मंच के निर्माण से एक रेलवे स्टेशन शुरू किया गया था। इसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के रूप में जाना गया। बाद में इसका मूल भवन कई वर्षों तक पार्सल कार्यालय के रूप में कार्य करता रहा। ये स्टेशन कनॉट प्लेस से मात्र दो किलो मीटर की दूरी पर है। ट्रेन की आवृत्ति और यात्रियों की आवाजाही के मामले में यह देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है। इस रेलवे स्टेशन पर कुल 16 प्लेटफार्म और 18 पटरियां हैं। प्लेटफार्म 1 पहाड़गंज में स्थित है और प्लेटफार्म 16 अजमेरी गेट की तरफ खुलता है।

ये स्टेशन 300 से अधिक रेलवे लाइनों के माध्यम से देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा है। यहां से रवाना होने वाली 400 ट्रेनें देश के 867 स्टेशनों पर जाती हैं।

नई दिल्ली पूर्व और दक्षिण की ओर जाने वाले अधिकांश रेल मार्गों का टर्मिनल स्टेशन है। ये स्टेशन नई दिल्ली-मुंबई मेन लाइन, नई दिल्ली-चेन्नई मेन लाइन, हावड़ा-गया-दिल्ली लाइन, दिल्ली-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर से जुड़ा है। ये स्टेशन राजधानी एक्सप्रेस के लिए मुख्य हब के रूप में कार्य करता है और यह शताब्दी एक्सप्रेस का आरंभिक और अंतिम बिंदु दोनों है। 1969 में पहली राजधानी एक्सप्रेस नई स्टेशन से हावड़ा के लिए रवाना हुई थी। वहीं देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को 2019 में इसी स्टेशन से हरी झंडी दिखाई गई थी। लक्जरी पर्यटक ट्रेनों की यात्रा भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से शुरू होती, पैलेस ऑन व्हील्स, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स और महाराजा एक्सप्रेस का सफर यहां पर शुरू और समाप्त होता है।

यह स्टेशन विश्व के लारजेस्ट इंटरलॉकिंग नेटवर्क वाले स्टेशन में नाम दर्ज करवा चुका है। 1999 से, स्टेशन के पास दुनिया में सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम का रिकॉर्ड है। व्यावसायिक महत्व के भारतीय रेलवे स्टेशनों के वर्गीकरण के अनुसार स्टेशन को पहले ए1 रैंक दिया गया था और अब यह गैर-उपनगरीय ग्रेड-1 स्टेशन है।

गौरतलब है कि एक लम्बे अंतराल के बाद 2010 में भारत में हुए कॉमनवेल्थ गेम से ठीक पहले 2007 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को पहली बार विकसित किया गया था। इसी दौरान रिंग रेलवे का निर्माण कर इसे नई दिल्ली से जोड़ा गया था। 1926 में इस स्टेशन से 20-25 ट्रेन रवाना होती थी और चार से पांच हजार लोग आते-जाते थे।

1950 के दशक तक, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन ही दिल्ली का मुख्य स्टेशन था। इसके बाद एक प्लेटफार्म नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का आधिकारिक उद्घाटन 1956 में हुआ था। पहाड़गंज का स्टेशन भवन भारत में पहला ऐसा स्टेशन भवन था जिसमें एक सामान्य प्रवेश और निकास सहित सभी वर्गों के यात्रियों के लिए सामान्य स्टेशन सुविधाएं थीं। 1970 के दशक की शुरूआत में स्टेशन की संतृप्ति सीमा को पूरा करने के साथ, रेल यातायात सहित स्टेशन के बोझ को कम करने के लिए दशकों से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। 1980 के दशक तक स्टेशन के सात प्लेटफॉर्म थे, साल 1995 में इसके दस प्लेटफॉर्म थे और 2010 के पुनर्विकास के दौरान प्लेटफॉर्म बढ़कर सोलह हो गए। इस पुनर्विकास के दौरान अजमेरी गेट की ओर नए स्टेशन भवन का उन्नयन किया गया। रेलवे और दिल्ली मेट्रो कनेक्टिविटी को एकीकृत किया गया है।

वहीं करीब डेढ़ दशक के बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय सुविधा देने का काम इस साल से शुरू हो रहा है। रेलवे अधिकारी ने बताया कि योजना के मुताबिक पहले चरण में प्लेटफॉर्म नंबर एक से पांच के बीच निर्माण कार्य होगा। दूसरे चरण में प्लेटफॉर्म नंबर छह से नौ और प्लेटफॉर्म नंबर 10 से 16 पर काम शुरू किया जाएगा।

पहले चरण की योजना के अनुसार निर्माण कार्य शुरू होने पर 60 से 100 ट्रेनें प्रभावित होंगी। इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से राजधानी आने वाली ट्रेनें दिल्ली और एनसीआर के अलग-अलग स्टेशनों से चलाई जाएंगी।

हालांकि नई दिल्ली स्टेशन से राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों के परिचालन पर कोई रोक नहीं होगी। ये प्रीमियम ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर छह से 16 तक चलाई जाएंगी। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे की मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट, इंटरसिटी और पैसेंजर ट्रेनें मुख्य रूप से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलाई जाएंगी। इसके साथ ही कुछ ट्रेनें गाजियाबाद, फरीदाबाद, शकूरबस्ती, तिलक ब्रिज, सफदरजंग, सब्जी मंडी, बिजवासन और दिल्ली छावनी रेलवे स्टेशनों से रवाना की जाएंगी। वहीं यात्रियों को पीक आवर्स में जाम की समस्या के मद्देनजर रेलवे बोर्ड ने छोटे स्टेशनों पर सड़कों के चौड़ीकरण और डायवर्जन की भी योजना तैयार की है।

पिछले साल ऐलान किया गया था कि भारत सरकार 4,700 करोड़ रुपये की योजना से नई स्टेशन का कायाकल्प करेगी। केंद्रिय कैबिनेट ने दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद रेलवे स्टेशनों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी।

भारतीय रेलवे की योजना के अनुसार, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के विकसित होने के बाद, इसमें 40 मंजिला ट्विन टावर, मल्टी-लेवल कार पाकिर्ंग, पिकअप और ड्रॉप जोन होंगे।

रेलवे को 45,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में अपना कार्यालय मिलेगा। इसके अलावा, 91 बस बे, 1500 ईसीएस पाकिर्ंग, पैदल यात्रियों के लिए स्काईवॉक और मेट्रो यात्रियों को साइट पर विकसित किया जाएगा। मॉडल के अनुसार जुड़वां टावर में ये कार्यालय होगा। साथ ही कुछ खुदरा दुकानें होंगी और एक होटल के लिए भी जगह होगी।

स्टेशन के निर्माण को लेकर ये भी तय किया गया है कि स्टेशन को विशिष्ट पहचान देने के लिए ऐतिहासिक और आधुनिक भारतीय संस्कृति दोनों से संजोया जायेगा। स्टेशन का निर्मित क्षेत्र लगभग 2,22,000 वर्ग मीटर होगा। स्टेशन काम्पलेक्स के अहम हिस्से में छह मंजिला दो सिग्नेचर गुंबद यानी सिग्नेचर डोम भी बनाई जाएगी। हालांकि रेलवे आधिकारियों की ओर से इसके लिए अब तक कोई तय समय सीमा की जानकारी नहीं दी जा रही है।

इसके साथ ही रेल मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के मुताबिक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और उसके आसपास के इलाकों का न केवल सौंदर्यीकरण किया जाएगा बल्कि उसे सभी आधुनिकतम सुविधाओं से भी सुसज्जित किया जाएगा। एनडीआरएस पुनर्विकास योजना के तहत परियोजना बनकर तैयार है। अब रेल प्रशासन को सिर्फ दिल्ली शहरी कला आयोग की ओर से इस परियोजना को ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार है।

रेल मंत्रालय के इस परियोजना पर काम पीपीपी के आधार पर होना है। यानि निजी भागीदारी से स्टेशन परिसर के साथ ही इसके साथ लगती रेलवे भूमि को नये सिरे से विकसित किया जाएगा। फिलहाल इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया भी जारी है। हालांकि परियोजना पर काम शुरू होने में एक बाधा रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान को दिल्ली शहरी कला आयोग से स्वीकृति न मिलने की है।

--आईएएनएस

पीटीके/एसकेपी

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