मुंबई, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। बड़ी उम्रदराज आबादी के साथ, जर्मनी वर्तमान में 400,000 कुशल कर्मचारियों की भारी कमी का सामना कर रहा है और देश की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहा है। एक राजनयिक ने मंगलवार को यह बात कही।मुंबई में जर्मनी के महावाणिज्यदूत अचिम फैबिग ने कहा कि उनके देश को वहां उपलब्ध नौकरियों के लिए नर्सो, बिजली मिस्त्रियों, सौर उपयोगिता तकनीशियनों जैसे कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, सोमवार देर रात महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के साथ बैठक के दौरान उनकी टिप्पणी आई।
फैबिग ने कहा कि भारत में जर्मनी का एक तिहाई निवेश महाराष्ट्र में आता है जहां उनके देश की 800 कंपनियों में से 300 कंपनियां काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि मुंबई में राजनयिक प्रतिनिधि के रूप में उनका ध्यान भारत में उपलब्ध युवा कार्यबल के बड़े पूल के माध्यम से कुशल जनशक्ति की जर्मनी की आवश्यकताओं के बीच की खाई को पाटने पर होगा, जो दोनों देशों के लिए एक जीत की स्थिति हो सकती है।
फैबिग ने कहा कि करीब 35,000 भारतीय छात्र जर्मनी में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और बड़ी संख्या में तकनीकी विशेषज्ञ वहां आईटी पेशेवरों के रूप में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुंबई में जर्मन वाणिज्य दूतावास का वीजा सेक्शन दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है और जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा बनने के लिए दो कदम चढ़ जाएगा।
फैबिग ने कहा कि भले ही भारत के संबंध लंबे समय से हैं, लेकिन दोनों देशों के लोगों को आधुनिक संदर्भ में एक-दूसरे के देश को समझने की जरूरत है।
एक अत्यधिक विकसित अर्थव्यवस्था, जर्मनी की आबादी लगभग 8.25 करोड़ या महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों का लगभग दो-तिहाई है और यह भारत की 28 वर्ष की औसत सीमा की तुलना में 48 वर्ष की औसत आयु के साथ दुनिया की तीसरी सबसे पुरानी आबादी है।
दूत ने बैस को बताया कि जर्मन फुटबॉल क्लब, बार्यन म्यूनिख भारत में फुटबॉल प्रशिक्षण शिविर और टूर्नामेंट आयोजित करने के इच्छुक हैं, खास तौर से मुफस्सिल क्षेत्रों में खेल को बढ़ावा देने के लिए।
राज्यपाल ने फैबिग का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहा कि महाराष्ट्र ने विभिन्न व्यवसायों के लिए कुशल जनशक्ति का एक बड़ा पूल तैयार करने के लिए कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की है, जो न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए काम करेगा।
--आईएएनएस
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