कोहिमा, 25 जनवरी (आईएएनएस)। मिजोरम सरकार के बाद एनएससीएन-आईएम ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) को खत्म करने के केंद्र के कदम का विरोध किया है।नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम-इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) ने बुधवार को कहा कि वे "हमारी भूमि में सीमा बाड़ लगाने के पूरी तरह से खिलाफ हैं जो एक परिवार के रूप में हमारे अधिकारों का हनन करता है"।
नगा संगठन ने एक बयान में कहा, "सीधे शब्दों में कहें तो एनएससीएन प्रस्तावित सीमा बाड़ लगाने की अनुमति नहीं देगा, जो नागा परिवार को एक राष्ट्र के रूप में विभाजित करती है।"
इसमें कहा गया है कि समय-सम्मानित एफएमआर को खत्म करने का केंद्र का हालिया कदम विशेष रूप से एनएससीएन और सामान्य तौर पर पूरे नागाओं के लिए एक बड़ा झटका है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 20 जनवरी को गुवाहाटी में असम पुलिस कमांडो की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए कहा था कि म्यांमार और भारत के बीच मौजूदा समझौते के तहत केंद्र ने फैसला किया है कि भारत-म्यांमार सीमा पर भी भारत-बांग्लादेश सीमा की तर्ज पर बाड़ लगाई जाएगी और इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है।
अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम तक फैली 1,643 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली भारत-म्यांमार सीमा की संवेदनशीलता और खतरों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पूरी सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने का फैसला किया है, जो नागरिकों को दोनों किनारों के करीब रहने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि सीमा पर बिना पासपोर्ट या वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक आना-जाना होगा।
एनएससीएन-आईएम ने कहा कि नगा उच्च स्तर की राजनीतिक चेतना, सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता वाले स्वदेशी लोग हैं।
यह कहते हुए कि एक परिवार के रूप में नगाओं को दोनों तरफ से मुक्त आवाजाही की जरूरत है, एनएससीएन-आईएम ने कहा कि विडंबना यह है कि सीमा सीमांकन की प्रकृति इतनी क्रूर थी कि यह मोन जिले में लोंगवा राजा के घर से होकर गुजरती है।
इसमें कहा गया, नगा परिवार को विभाजित करने से अधिक क्रूर कुछ नहीं हो सकता।
--आईएएनएस
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