iGrain India - कोच्चि । दोनों शीर्ष उत्पादक प्रांतों-केरल एवं तमिलनाडु के प्रमुख नीलामी केन्द्रों में छोटी (हरी) इलायची की आवक अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद इसकी कीमतों में नरमी का रुख देखा जा रहा है।
समझा जाता है कि दिसावरी व्यापारियों- स्टॉकिस्टों एवं निर्यातकों द्वारा इलयाची की खरीद में जबरदस्त दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। उत्पादक क्षेत्रों में नए माल की तुड़ाई-तैयारी अभी समाप्त नहीं हुई है।
बेशक अभी इलायची का भाव नरम चल रहा है मगर खाड़ी क्षेत्र के देशों में रमजान की जोरदार मांग निकलने पर इसमें तेजी की संभावना बन सकती है।
सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ग्वाटेमाला ने अपने स्टॉक का निर्यात बढ़ाने के लिए दिसम्बर 2023 में इलायची का निर्यात ऑफर मूल्य कुछ घटा दिया था जिसका भारत पर भी असर पड़ा। ग्वाटेमाला की तुलना में भारतीय इलायची की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है और इसका दाम भी कुछ ऊंचा रहता है।
हाल की एक नीलामी में 60 टन से कुछ अधिक इलायची की आवक हुई और इसका औसत नीलामी मूल्य 1613 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया।
इलायची की फसल के लिए हाल के समय का मौसम काफी हद तक अनुकूल रहा है और इससे फसल को लाख होने की उम्मीद है। पहले प्रतिकूल मौसम के कारण फसल प्रभावित हुई थी।
केरल में इडुक्की, वायनाड एवं पठानमथिट्टा सहित अन्य जिलों में दिसम्बर-जनवरी के दौरान अच्छी बारिश हुई इसलिए इलायची के उत्पादन में कम गिरावट आने की संभावना है।
ग्वाटेमाला में छोटी इलायची का निर्यात ऑफर मूल्य अब बढ़ गया है जिससे भारतीय निर्यातकों को अपने माल का निर्यात बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।
उत्पादन में गिरावट के साथ यदि निर्यात मांग मजबूत रही तो इलायची के दाम में कुछ सुधार आ सकता है। दिसावरी मंडियों में इलायची के दाम में सीमित उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। इलायची का निर्यात प्रदर्शन कमजोर चल रहा है।
अप्रैल-अक्टूबर 2023 के सात महीनों में देश से 2375 टन इलायची का निर्यात हो सका जो वर्ष 2022 की समान अवधि के निर्यात 4829 टन के आधे से भी कम रहा।
इसी तरह इसकी निर्यात आमदनी भी समीक्षाधीन अवधि में 562 करोड़ रुपए से घटकर 340.21 करोड़ रुपए पर सिमट गई।