पटना, 30 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार में जातीय गणना के बाद सरकार अब शराबबंदी कानून को लेकर जनमत जानने की कोशिश करेगी। विपक्ष के लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इसके लिए एक सर्वे कराने का निर्देश अधिकारियों को दिया है।इसमें कोई शक नहीं कि शराबबंदी कानून को लागू हुए करीब सात साल गुजर जाने के बाद भी आज प्रतिदिन कहीं न कहीं से शराब बरामदगी की सूचना आती रहती है। शराबबंदी कानून के बाद जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत भी हुई है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर प्रदेश में शराब पहुंच कहां से रही है।
इधर, विपक्ष का आरोप है कि शराबबंदी को लेकर सिर्फ गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासन ने कार्रवाई कर जेलों को शराबियों और तस्करों से भर दिया है।
अब बिहार सरकार एक सर्वे कराने जा रही है, जिसमें लोग अपने 'मन की बात' बता सकेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नशा मुक्ति दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम में अधिकारियों को कहा था कि मैं लोगों से एक नये सर्वेक्षण पर विचार करने का आग्रह करूंगा, जो शराबबंदी के प्रभाव का एक नया अनुमान देगा। निष्कर्षों के आधार पर हम नये उपाय पेश करेंगे।
नीतीश ने इस दौरान शराबबंदी कानून को वापस लेने से भी इनकार किया है।
शराबबंदी कानून को लेकर पहले भी सर्वे कराए गए हैं, जिसमे बड़ी संख्या में लोगों के शराब की आदत छोड़ने की बात सामने आई थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि कहीं इस सर्वे के बाद नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को वापस तो नहीं ले लेंगे।
बिहार में जब से शराबबंदी कानून लागू हुआ है तभी से इसे लेकर सियासत भी खूब होती रही है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि इस नए सर्वे के बाद सरकार आगे क्या रणनीति बनाती है।
--आईएएनएस
एमएनपी/एसकेपी