रांची, 7 जून (आईएएनएस)। झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के जेल में बंद रहने से राज्य में ग्रामीण विकास की हजारों करोड़ की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता के समाप्त होने के बाद जब विभिन्न विभागों में योजनाओं पर तेजी से काम की जरूरत महसूस की जा रही है, तब भी सरकार आलमगीर आलम पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही है।
आलमगीर आलम पिछले 24 दिनों से जेल में बंद हैं, लेकिन उन्होंने अब तक न तो इस्तीफा दिया है, न ही मुख्यमंत्री के स्तर पर उन्हें हटाने का फैसला हो पाया है। झारखंड में इसके पहले भी कई मंत्री गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन जेल जाते ही उन्हें पद से हटना पड़ा था। यहां तक कि सीएम के पद पर रहते हुए जब ईडी ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार करने का फैसला किया, तो, उन्होंने हिरासत में लिए जाने के पहले रात 10 बजे राजभवन जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था।
आलमगीर आलम की हैसियत राज्य की सरकार में सीएम के बाद नंबर दो मंत्री की रही है। उनके जिम्मे ग्रामीण विकास, पंचायती राज, ग्रामीण कार्य के अलावा संसदीय कार्य विभाग भी है। विधानसभा सत्र आहूत करने से लेकर सदन के भीतर सरकार की ओर से बिल पेश किए जाने एवं विधायी कार्यों से जुड़े मुद्दे पर निर्णय लेने में संसदीय कार्य मंत्री की अहम भूमिका होती है। इसी तरह ग्रामीण विकास की तमाम योजनाओं में कई स्तरों पर मंत्री की मंजूरी की जरूरत होती है।
राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष में ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के लिए कुल 17,702 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। नियम यह है कि ढाई करोड़ से अधिक की किसी भी योजना में राशि आवंटन की मंजूरी मंत्री के स्तर से ही दी जा सकती है। इसके अलावा मनरेगा, इंदिरा आवास योजना, मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना, छात्रवृत्ति, वृद्धावस्था पेंशन योजनाओं के सुचारू संचालन में भी मंत्री के स्तर पर निगरानी और रिव्यू की जरूरत होती है।
मंत्री आलमगीर आलम के जेल में रहने से ऐसे तमाम काम प्रभावित होने लगे हैं। आलमगीर आलम को टेंडर कमीशन घोटाले में ईडी ने 15 मई की शाम को गिरफ्तार किया था। इसके पहले ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और घरेलू सहायक जहांगीर आलम सहित कई अन्य के ठिकानों पर 6-7 मई को छापेमारी की थी। इस दौरान 37 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद की गई थी।
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