iGrain India - मुम्बई । अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में जिस तरह का घटनाक्रम चल रहा है उससे भारत में वहां से तुवर का निर्यात होने में गहरा संदेह उत्पन्न हो गया है।
मालूम हो कि भारत और मोजाम्बिक के बीच आपसी सहमति के एक समझौता (एमओयू) वर्ष 2016 में हुआ था जिसके तहत मोजाम्बिक 2 लाख टन उड़द प्रत्येक साल भारत को निर्यात करेगा।
मोजाम्बिक की एक अदालत ने कहा है कि भारत को इससे अधिक मात्रा में तुवर का निर्यात नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे अन्य निर्यातकों को दूसरे आयातक देशों के साथ किए गए अनुबंधों को पूरा करने में कठिनाई होती है और उसके कारोबार का नुकसान होता है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अदालत का यह निर्णय आने से पूर्व ही मोजाम्बिक से भारत को करीब 2.29 लाख टन तुवर का निर्यात शिपमेंट हो चुका था। यदि अदालत के इस फैसले को रोका या बदला नहीं गया तो वहां से भारत में तुवर का आयात मार्च 2024 तक होना मुश्किल हो जाएगा।
समझा जाता है कि भारत को निर्यात शिपमेंट करने में हो रही कठिनाई के कारण मोजाम्बिक के नामपुला एवं नाकाला में लगभग 3.50 लाख टन तुवर का स्टॉक बर्बाद होने का खतरा बढ़ गया है।
मोजाम्बिक में यह कहावत उल्टी हो गई है कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता।' दरअसल एक निर्यातक ने अदालत में मामला दायर करके सारा समीकरण ही बदल दिया।
भारत सरकार के आग्रह पर मोजाम्बिक सरकार ने भारत को मनचाही मात्रा में तुवर का निर्यात करने की अनुमति अपने निर्यातकों को देने का निर्णय लिया था लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगा दी।
चूंकि दोनों देशों के बीच सरकारी स्तर पर 2 लाख टन तुवर के वार्षिक कारोबार का समझौता हुआ है इसलिए कोर्ट ने इसका सम्मान किया लेकिन इससे अधिक मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार नामपुला एवं नाकाला के वेयरहाउस में 3.50 लाख टन तुवर का स्टॉक मौजूद है जबकि मोजाम्बिक के बंदरगाहों पर 1.50 लाख टन का स्टॉक पड़ा है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी तुवर का स्टॉक बताया जा रहा है।
हालांकि स्टॉकिस्ट तुवर के इस सम्पूर्ण स्टॉक को निर्यात के लायक बनाए रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन उन्हें पता नहीं है कि इसका निर्यात कब तक संभव हो पाएगा।
इधर भारत में तुवर का भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है। हालांकि कर्नाटक में नए माल की आवक जल्दी ही शुरू होने की संभावना है लेकिन किसानों का माल हाथों हाथ बिक सकता है।
केन्द्र सरकार भी विशाल मात्रा में तुवर की खरीद का प्लान बना रही है। कर्नाटक में तुवर का उत्पादन घटने की संभावना है। इससे बाजार में इस महत्वपूर्ण दलहन की उपलब्धता सीमित ही रहेगी।