इस्लामाबाद, 18 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तानी सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए दोहा में है।इस दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल देश में एक आर्थिक सुधार के लिए निश्चितता और गति प्रदान के लिए छह अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को पुनर्जीवित करने और एक अरब डॉलर के महत्वपूर्ण कोष जारी करने को लेकर बातचीत करने पर जोर देगा। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और नवाज शरीफ सरकार इसे पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मदद की सख्त आवश्यकता है।
वार्ता अगले सप्ताह तक चलने की उम्मीद है और इस दौरान पाकिस्तान आईएमएफ को मौजूदा ऋण कार्यक्रम को फिर से शुरू करने और अतिरिक्त ऋण सुविधा के लिए मनाने की कोशिश करेगा, जो कि पाकिस्तान को अपने मौजूदा आर्थिक संकट से बाहर निकलने में मदद करने के लिए बेहद जरूरी है।
हालांकि, पाकिस्तान के लिए बातचीत के सुचारू रूप से चलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि आईएमएफ ने सख्त मांगें रखी हैं, जिसने महंगाई की मार झेल रहे इस्लामाबाद को सभी सब्सिडी बंद करने और सख्त उपाय लागू करने के लिए कहा है।
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल, राज्य मंत्री डॉ. आयशा घोष पाशा, वित्त सचिव हमीद याकूब शेख, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के कार्यवाहक गवर्नर डॉ. मुर्तजा सैयद, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एफबीआर) के चेयरमैन असीम अहमद और अन्य वित्त विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
आर्थिक विशेषज्ञ शाहरुख वानी ने कहा, सरकार आईएमएफ को यह समझाने की कोशिश करेगी कि राजनीतिक स्थिरता के मकसद से कम से कम कुछ सब्सिडी तो रखना जरूरी है।
हालांकि, आईएमएफ व्यापार घाटे को संतुलित करने के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से सभी सब्सिडी वापस लेने की मांग कर सकता है।
वानी ने कहा, आईएमएफ संभवत:, ठीक ही कहेगा कि ये टिकाऊ नहीं हैं और व्यापार और बजट घाटे को प्रबंधित करने के लिए इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
6 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज, जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, 2019 में आर्थिक सुधारों और पुनर्गठन की कठिन और सख्त मांगों को स्वीकार करते हुए, कभी भी लागू नहीं किया गया। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी सरकार ने कुछ सब्सिडी में कटौती और इन्हें समाप्त करने के अलावा राजस्व और कर संग्रह में सुधार के समझौतों पर चूक की है।
अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से खान को बाहर किए जाने के बाद पैकेज को निलंबित कर दिया गया था।
आईएमएफ ने कहा है कि वह किसी भी ऐसी अन्य सरकार के साथ बातचीत करेगा, जिसने इमरान खान सरकार से कार्यभार संभाला हो और इसके अलावा वह पाकिस्तान में किसी भी कार्यवाहक राजनीतिक व्यवस्था से बात नहीं करेगा।
अब तक, इस्लामाबाद को आईएमएफ प्रोग्राम से कम से कम 3 अरब डॉलर प्राप्त हुए हैं।
आईएमएफ प्रोग्राम इस साल के अंत में समाप्त होने वाला है, यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार के अधिकारी जून 2023 तक विस्तार की मांग कर रहे हैं, साथ ही 1 अरब डॉलर की अगली किश्त जारी करने की भी मांग कर रहे हैं।
हालांकि, मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि से परहेज किया है, क्योंकि उन्होंने कीमतों में वृद्धि के लिए तेल और गैस नियामक प्राधिकरण (ओजीआरए) और वित्त मंत्रालय द्वारा कम से कम दो समरी को खारिज कर दिया था।
आईएमएफ पाकिस्तान से ईंधन सब्सिडी को वापस लेने और इसे बेलआउट पैकेज से जोड़ने के लिए कह रहा है
पाकिस्तान ने अपनी नकदी-संकट वाली अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बार-बार अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मांगा है, जो राष्ट्रीय ऋण, मुद्रास्फीति यानी महंगाई और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा के निरंतर अवमूल्यन (रुपये के मूल्य में कमी) से बुरी तरह प्रभावित है।
--आईएएनएस
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