नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2017 में अदालत की अवमानना के मामले में चार महीने के कारावास की सजा सुनाई, क्योंकि उन्होंने अदालत से जानकारी छिपाई थी।अदालत ने माल्या को 4 करोड़ डॉलर जमा करने का भी आदेश दिया - जिसे उन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित किया था - ऐसा नहीं करने पर उनकी संपत्तियों की कुर्की शुरू हो जाएगी।
जस्टिस यू. यू. ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा, परिस्थितियों में, कानून की महिमा को बनाए रखने के लिए, हमें अवमानना करने वाले को पर्याप्त दंड देना चाहिए और आवश्यक निर्देश भी पारित करने चाहिए, ताकि अवमाननाकर्ता या उसके अधीन दावा करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त लाभ शून्य हो और संबंधित वसूली कार्यवाही में पारित डिक्री के निष्पादन में संबंधित राशि उपलब्ध हो।
पीठ ने कहा कि माल्या ने अपने आचरण के लिए कभी कोई पछतावा नहीं दिखाया और न ही कोई माफी मांगी, क्योंकि उसने उस पर चार महीने की सजा और 2,000 रुपये का जुमार्ना लगाया था। पीठ ने कहा कि अगर तय समय में जुमार्ना की राशि जमा नहीं की जाती है तो माल्या को दो महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
पीठ ने माल्या को 4 करोड़ डॉलर जमा करने का भी आदेश दिया, जिसे उन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित किया था, ऐसा नहीं करने पर उनकी संपत्तियों की कुर्की शुरू हो जाएगी। इसमें कहा गया है कि अवमानना करने वाले (माल्या) और उक्त लेन-देन के लाभार्थी ऐसे लाभार्थियों द्वारा प्राप्त राशि को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित चार सप्ताह के भीतर संबंधित वसूली अधिकारी के पास जमा करने के लिए बाध्य होंगे।
आदेश के अनुसार, यदि राशि इस प्रकार जमा नहीं की जाती है, तो संबंधित वसूली अधिकारी उक्त राशि की वसूली के लिए उचित कार्यवाही करने का हकदार होगा और भारत सरकार और सभी संबंधित एजेंसियां सहायता और पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगी।
शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को भी यह निर्देश दिया कि वह अवमानना करने वाले की उपस्थिति सुनिश्चित करे और उसे दिए गए कारावास पर ध्यान दें। आदेश में कहा गया है, कहने की जरूरत नहीं है कि भारत सरकार, जिसमें विदेश मंत्रालय और अन्य सभी एजेंसियां या उपकरण शामिल हैं, इस अदालत द्वारा जारी निदेशरें को पूरी तत्परता और अत्यंत तत्परता से लागू करेगी। इसके बाद एक अनुपालन रिपोर्ट इस न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को बैंकों द्वारा दायर अवमानना मामले में सजा सुनाए जाने से पहले माल्या को पेश होने का अंतिम मौका दिया था, जिसमें वह दोषी पाया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने माल्या को अवमानना का दोषी पाया है और उसे सजा दी जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि सामान्य तर्क के आधार पर अवमाननाकर्ता को सुना जाना चाहिए, लेकिन वह अब तक अदालत में पेश नहीं हुआ है।
इसने कहा था कि अगर माल्या सुनवाई में मौजूद नहीं होता है तो मामले को ता*++++++++++++++++++++++++++++र्*क निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा।
14 जुलाई, 2017 को दिए गए एक फैसले के अनुसार, माल्या को बार-बार निदेशरें के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं करने के लिए अवमानना का दोषी पाया गया था। इसके अतिरिक्त, उन पर अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं करने और वसूली की कार्यवाही के उद्देश्य को विफल करने के लिए गुप्त रूप से संपत्ति के निपटान का प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया था।
6 अक्टूबर 2020 को, एमएचए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि यूके के गृह कार्यालय ने सूचित किया है कि उनके प्रत्यर्पण को लेकर एक और कानूनी मुद्दा है, जिसे माल्या के प्रत्यर्पण से पहले हल करने की आवश्यकता है और यह मुद्दा ब्रिटेन के कानून के तहत प्रभावी होने वाली प्रत्यर्पण प्रक्रिया से बाहर है।
--आईएएनएस
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