नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। इंफोसिस (NS:INFY) के संस्थापक नारायण मूर्ति के एक बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। मूर्ति ने भारत के युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि समग्र उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए सप्ताह में 70 घंटे काम करें। कुछ लोग मूर्ति के विचार का समर्थन करते हुए तर्क देते हैं कि भारत को अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी कार्य संस्कृति में सुधार करने की आवश्यकता है, वहीं अन्य लोगों ने इसकी आलोचना भी की है।
एडलवाइस म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ राधिका गुप्ता ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा है कि कई भारतीय महिलाएं भारत और अगली पीढ़ी के निर्माण के लिए सप्ताह में 70 घंटे से अधिक काम कर रही हैं।
गुप्ता ने रविवार को एक्स पर लिखा, "कार्यालयों और घरों के बीच, कई भारतीय महिलाएं वर्षों और दशकों से मुस्कुराहट के साथ और बिना किसी ओवरटाइम के भारत और भारतीयों की अगली पीढ़ी के निर्माण के लिए 70 घंटे से अधिक काम कर रही हैं।''
उन्होंने कहा, "मजेदार बात यह है कि किसी ने भी एक्स पर हमारे बारे में बहस नहीं की।"
गुप्ता की पोस्ट पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई, यूजर्स ने अपने विचार व्यक्त किए।
एक यूजर ने लिखा, "बहुत सहमत हूं, मैंने ऐसी ही एक महिला से शादी की है। वह पिछले 18 सालों से ये सब संभाल रही है, जब हमारा बेटा हुआ था।"
एक अन्य यूजर ने कहा, "बिल्कुल सच, महिला सभी घरेलू काम के साथ सप्ताह में 70 घंटे काम करती हैं। महिलाओं को घर के काम से सप्ताहांत की छुट्टी नहीं मिलती है, इसलिए उनके लिए कोई डाउनटाइम या आत्म-देखभाल नहीं है।"
इस बीच, भारतपे के पूर्व सह-संस्थापक अश्नीर ग्रोवर ने कहा है कि मूर्ति की टिप्पणी से जनता नाराज हो गई क्योंकि किए गए काम का माप अभी भी परिणाम के बजाय खर्च किए गए घंटों के आधार पर तय किया जाता है।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "मुझे लगता है कि जनता यहां नाराज हो गई क्योंकि काम को अभी भी 'परिणाम' के बजाय 'घंटों' में मापा जा रहा है। दूसरी बात यह है कि लोगों को ऐसा लग रहा है कि युवाओं का आलस्य ही एकमात्र चीज है जो भारत को विकसित होने से रोक रही है।''
--आईएएनएस
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