iGrain India - नई दिल्ली । हो सकता है कि अगले महीने से सब्जियों की कीमतों में कुछ नरमी आ जाए लेकिन दाल-दलहन का भाव ऊंचा एवं तेज बना रह सकता है क्योंकि एक तो अरहर (तुवर) एवं उड़द का स्टॉक बहुत कम है और दूसरे, चालू खरीफ सीजन में इसकी बिजाई भी काफी घट रही है।
इससे सरकार का चिंतित होना स्वभाविक ही है। आम उपभोक्ताओं को भी भारी कठिनाई हो रही है। बढ़ती खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के सरकारी प्रयासों में दाल-दलहन की अड़ंगेबाजी जारी रह सकती है।
बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने के साथ-साथ अगस्त में मानसून की वर्षा का अभाव होने से भी दलहन फसलों का उत्पादन प्रभावित होने की अशंका है जिसका मनोवैज्ञानिक असर बाजार पर पड़ सकता है। खरीफ कालीन दलहन फसलों का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष की तुलना में करीब 10 प्रतिशत पीछे चल रहा है।
हाल के महीनों में दाल-दलहन का खुदरा बाजार भाव तेजी से बढ़ा है। जून में इसकी महंगाई दर 10.6 प्रतिशत रही थी जो जुलाई में बढ़कर 13.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।
कुल खुदरा महंगाई दर भी 7.4 प्रतिशत दर्ज की गई जो पिछले 15 महीनों में सबसे ऊंची थी। जुलाई 2023 के दौरान तुवर दाल के दाम में 34.1 प्रतिशत एवं मूंग दाल के मूल्य में 9.1 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हो गई जबकि इसके बाद भी इसमें तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है।
दरअसल थोक मंडियों में इसकी आवक काफी घट गई है जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि तुवर, उड़द एवं मूंग का वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से बहुत कम हुआ। अगली फसल भी शानदार होने की उम्मीद नहीं है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस बार 18 अगस्त तक राष्ट्रीय स्तर पर दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 115 लाख हेक्टेयर के करीब ही पहुंच सका जबकि आगे इसमें ज्यादा सुधार आने के आसार नहीं है। समझा जाता है कि दलहन फसलों की आदर्श बिजाई अवधि के दौरान मानसूनी बारिश का अभाव बरकरार रह सकता है।
दलहन फसलों की बिजाई गत वर्ष से 9.2 प्रतिशत पीछे है। इसके तहत तुवर के क्षेत्रफल में 15.3 प्रतिशत एवं उड़द के रकबे में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।
इसकी बिजाई का सीजन अब समाप्त होने वाला है इसलिए कुल मिलाकर बिजाई क्षेत्र पिछले साल से कम रह सकता है। गत वर्ष भी दलहनों का उत्पादन क्षेत्र घट गया था।
अब सबका ध्यान मौसम एवं मानसून पर केन्द्रित हो गया है क्योंकि पिछले साल सितम्बर-अक्टूबर की भारी बारिश से तुवर-उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ था।