नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने हाल के दिनों में एक "प्रवृत्ति" देखी है जहां जमानत या सजा के निलंबन की मांग करने वाले आवेदन के निपटारे के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की जाती है क्योंकि अपीलकर्ता के वकील उच्च न्यायालय के समक्ष गुण-दोष के आधार पर मुख्य अपील पर बहस करने से बचते हैं।न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा, "विद्वान वकील को गुण-दोष के आधार पर अपील पर बहस करने के लिए इच्छुक और तैयार रहना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां अपीलकर्ता/अभियुक्त कुछ वर्षों तक कारावास में रह चुका हो।"
पीठ ने अपने हालिया आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें अपीलकर्ता की सजा को निलंबित करने या उसे जमानत देने से इसलिए इनकार कर दिया गया था क्योंकि उसका वकील योग्यता के आधार पर मुख्य अपील पर बहस करने के लिए तैयार नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी और उच्च न्यायालय से याचिकाकर्ता और अन्य सह-अभियुक्तों द्वारा दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई करने का अनुरोध किया। साथ ही कहा, "अपीलकर्ता-अभियुक्त और राज्य के वकील को अपील पर बहस के लिए तैयार रहना चाहिए।"
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उसके वकील ने कहा था कि उसे मामले पर बहस करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कुछ समय चाहिए और पेपर बुक तैयार होने के बावजूद वह उस दिन मामले पर बहस नहीं कर सकता।
अपीलकर्ता को उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत ने हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और वह आठ साल से अधिक समय से जेल में बंद है।
--आईएएनएस
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