iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । उत्तर-पूर्व मानसून की सक्रियता एवं गति शीलता बढ़ने से देश के दक्षिणी प्रायद्वीप में अच्छी बारिश होने लगी है जिससे न केवल खेतों की मिटटी में नमी का अंश बढ़ने से खरीफ फसलों की बिजाई में सहायता मिलेगी बल्कि बांधों-जलाशयों में पानी के भंडार का स्तर भी ऊंचा उठेगा।
उल्लेखनीय है कि दक्षिणी राज्यों के सरोवरों में जल स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है जिससे पेयजल और फसलों की सिंचाई के लिए पानी का अभाव महसूस होने लगा है।
अब स्थिति धीरे-धीरे सुधरने की उम्मीद है। मालूम हो कि उत्तर-पूर्व मानसून अक्टूबर से दिसम्बर तक सक्रिय रहता है और इसके फलस्वरूप दक्षिण भारत में जाड़े के दिनों में वर्षा होती है।
मौसम विभाग के अनुसार 23-24 नवम्बर को केरल में मध्यम से लेकर कहीं-कहीं भारी बारिश हुई जिससे खासकर कालीमिर्च की फसल को फायदा होने की उम्मीद है।
इसके नए माल की तुड़ाई-तैयारी जल्दी ही आरंभ होने वाली है। दूसरी ओर छोटी (हरी) इलायची की फसल की कटाई-तैयारी में इस बारिश से कुछ बाधा पहुंचने की संभावना है क्योंकि इलायची के दाने में नमी का अंश बढ़ गया है।
तमिलनाडु में समीक्षाधीन अवधि के दौरान अनेक क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की गई जिससे मसाला सहित अन्य फसलों को फायदा होगा। वहां कुछ इलाकों में भारी बारिश भी हुई है।
इसके अलावा दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक, रॉयल सीमा, लक्ष्यद्वीप तथा तटीय आंध्र प्रदेश में हल्की बौछार पड़ी या कहीं कहीं मध्यम श्रेणी की बारिश हुई। इससे आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में चना और खासकर काबुली चना की फसल लाभान्वित होने की उम्मीद है। किसानों ने सूखे खेतों में जोखिम उठाकर इसकी बिजाई की थी और इस बारिश से उन्हें काफी राहत मिली है।
पूर्वोत्तर भारत में पिछले दिन सिक्किम में कहीं-कहीं थोड़ी वर्षा हुई मगर देश का पश्चिमोत्तर क्षेत्र सूखा रहा। वैसे पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में गेहूं सहित अन्य रबी फसलों की जोरदार बिजाई हो रही है जिसमें चना, मसूर, मटर, सरसों एवं जौ आदि शामिल है लेकिन मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के अनेक क्षेत्रों में वर्षा की भारी कमी महसूस की जा रही है।