नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। किसानों की हितैषी होने का दावा करने वाली कांग्रेस जितना ही मुंह खोल रही है उसका दोहरा मापदंड उतना ही उजागर हो रहा है। कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के पास तो कांग्रेस के किसानों को लेकर किए गए करतूतों का जवाब नहीं है। जिसमें चुनाव से पहले किसानों के लिए किए गए लोकलुभावन वादे और फिर सरकार बनते ही किसानों को भूल जाना कांग्रेस की फितरत हो। किसानों को अब कांग्रेस केंद्र में अपनी सरकार के गठन के बाद एमएसपी कानून देने का वादा कर रही है। ऐसे में साफ बता सकते हैं कि कांग्रेस की सोच केवल चुनाव जीतने की रही है उनका किसानों के उन्नति से कोई लेना-देना नहीं रहा है। इसके कई उदाहरण भी हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार से एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने की मांग कर रहे किसान सड़क पर उतरे तो विपक्षी दलों को भी मौका मिल गया कि वह सरकार को किसानों का शोषण करने वाला बताए। हालांकि सरकार की तरफ से एक-एक कर इसके बारे में बताया भी गया कि कैसे किसानों को बेहतर बनाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। वहीं गन्ना किसानों के लिए सरकार की तरफ से बेहतरीन तोहफा दिया गया। गन्ने की एमएसपी में प्रति क्विंटल 25 रुपए की बढ़ोतरी की गई। जो अब तक की सबसे बड़ी कीमत है।
दूसरी तरफ भाजपा शासित प्रदेशों की सरकारों को भी देखें तो गन्ने की कीमत जो कई सालों तक अटकी पड़ी रहती थी उसे लेकर योगी सरकार ने एक स्पष्ट नीति पर काम किया और जल्द से जल्द गन्ना किसानों को उनके गन्ने की कीमत मिले यह सुनिश्चित किया। वहीं हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने आज सदन में जो बजट पेश किया। इसमें हरियाणा सरकार ने किसानों के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की। इसके लिए सीएम खट्टर ने बजट में 1.89 लाख करोड़ रुपये की राशि को रखने की बात कही। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने किसानों के ऋण पर ब्याज और जुर्माना दोनों को माफ किए जाने की भी बात कही।
ऐसे में किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे और किसान हितैषी होने का दावा कर रहे कांग्रेस का किसानों को लेकर सोच और उनका चाल-चरित्र क्या रहा है यह जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। किसान कांग्रेस के वादे से कैसा ठगा महसूस करते रहे हैं यह जानकर आपको भी ताज्जुब होगा। राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लगातार किसानों के समर्थन में आकर वादा कर रहे हैं उनकी सरकार केंद्र में आई तो वह स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करेगी। लेकिन, यूपीए सरकार के दौरान जब एमएसपी को लेकर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने का प्रस्ताव सरकार के सामने आया था तो उनके द्वारा जो जवाब दिया गया था वह जानकर भी आपको हैरानी होगी। इस कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने से यूपीए सरकार के द्वारा मना कर दिया गया था।
स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश की गई थी, जिससे छोटे किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल सके। स्वामीनाथन आयोग की इस रिपोर्ट में एमएसपी फॉर्मूले को तब की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2007 में यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे बाजार खराब हो जाएगा और यह काउंटर प्रोडक्टिव होगा। वही कांग्रेस अब वादा कर रही है कि अगर वह सत्ता में वापस आई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देगी।
इसके साथ ही बता दें कि पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से कृषि ऋण माफी का वादा किया गया था। हालांकि इसके बाद भी प्रदेश की जनता का भरोसा कांग्रेस पर नहीं हो पाया। कारण साफ था कि 2018 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने यही वादा किया इन राज्यों के किसानों के साथ किया था। वह पांच राज्यों में से तीन - छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सत्ता में आई भी थी। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ऋण माफी का विचार ही छोड़ दिया। हरियाणा के किसान इसको करीब से देख रहे थे और यही वजह रही कि 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वहां की जनता कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर पाई।
2018 में कर्नाटक में कांग्रेस ने जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन के साथ मई के महीने में सत्ता संभाली थी। एच.डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ यहां जनता दल (सेक्युलर) सरकार चला रही थी। कांग्रेस ने चुनाव से पहले वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद किसानों का 44,000 करोड़ रुपये का ऋण माफ किया जाएगा। लेकिन, जब सरकार बनी तो इसके बाद राज्य ने अपना 15,880 करोड़ रुपये का बजट किसानों की ऋण माफी के नाम रखा था और इसकी एक तिहाई राशि 5,450 करोड़ कृषि ऋण माफी के नाम पर खर्च किए गए। मतलब यहां भी किसानों के साथ जमकर धोखा किया गया।
इसी साल 2018 में मध्य प्रदेश में चुनाव कांग्रेस ने जीता और कमलनाथ यहां सीएम बने। उन्होंने किसानों की तो छोड़िए केंद्र सरकार की 51 कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश की जनता को वंचित रखा। इसके साथ ही किसानों की सूची केंद्र सरकार के पास पीएम किसान योजना को लेकर भेजी ही नहीं गई। कमलनाथ की सरकार के जाने के बाद भाजपा वहां सत्ता में आई तो वहां किसानों को पीएम किसान योजना का भी लाभ मिला और साथ ही केंद्र की सभी कल्याणकारी योजनाओं को यहां लागू किया गया।
ऐसे कई उदाहरण और हैं जिसमें किसानों के साथ किस तरह का भेदभाव कांग्रेस की सरकार करती रही है और कैसे चुनाव से पहले किसानों से किए वादे को सरकार के आते ही भूलती है उसके बारे में पता चल जाएगा। आज वही कांग्रेस भाजपा को किसान विरोध बताकर इस बात का झांसा देने की कोशिश कर रही है कि वह सत्ता में आई तो किसानों को एमएसपी का पूरा लाभ देगी। वह एमएसपी पर कानून बनाएगी।
--आईएएनएस
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