नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उपराज्यपाल (एलजी) से अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर फंड रोके जाने के खिलाफ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) द्वारा दायर याचिका पर उनका रुख पूछा।याचिका में सरकारी धन के कथित दुरुपयोग पर जांच और विशेष ऑडिट लंबित रहने तक धन रोके जाने को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि बाल अधिकार निकाय के खिलाफ एलजी वी.के. सक्सेना द्वारा आदेशित कार्रवाई पर प्रेस नोट के कुछ हिस्सों ने "राजनीतिक रंग" ले लिया और एलजी के वकील से निर्देश लेने को कहा।
प्रेस नोट में उल्लेख किया गया है कि डीसीपीसीआर के पूर्व अध्यक्ष अनुराग कुंडू और छह सदस्य राजनीतिक रूप से आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े थे।
अदालत ने कार्रवाई के पीछे संभावित राजनीतिक प्रेरणाओं के बारे में चिंता जताई।
सक्सेना के वकील ने कहा कि कार्रवाई अन्य राज्य अधिकारियों की सिफारिश के आधार पर की गई थी और निर्देश लेने के लिए समय का अनुरोध किया गया था।
पिछले साल सक्सेना ने डीसीपीसीआर द्वारा धन के कथित दुरुपयोग की जांच और विशेष ऑडिट को मंजूरी दे दी थी और जांच पूरी होने तक आगे के फंड आवंटन को रोकने का निर्देश दिया था।
डीसीपीसीआर के वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि बाल अधिकार निकाय को धन का आवंटन रोक दिया गया है।
अब अगली सुनवाई 19 जनवरी को होने की संभावना है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने मंगलवार को डीसीपीसीआर के वकील को याचिका की एक प्रति एलजी कार्यालय को देने और उन्हें निर्धारित लिस्टिंग के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया था।
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट से स्थानांतरित की गई थी। शीर्ष अदालत ने 15 दिसंबर को डीसीपीसीआर को निर्देश दिया था कि वह राज्य अधिकारियों द्वारा अपने फंड को फ्रीज करने के बारे में चिंता जताने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी शिकायतें पेश करें।
डीसीपीसीआर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि राज्य में 60 लाख बच्चों को मिल रहीं सेवाएं प्रभावित होगी, इसलिए आयोग के फंड को फ्रीज नहीं किया जाना चाहिए।
--आईएएनएस
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