नई दिल्ली, 09 अक्टूबर (आईएएनएस)। मुंबई की एनआईए विशेष अदालत ने सोमवार को पुणे अंसारुल्ला बांगला टीम (एबीटी) मामले में आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में दो लोगों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई।एनआईए अधिकारियों के अनुसार, महाराष्ट्र पुलिस ने 16 मार्च 2018 को इस इनपुट पर मामला दर्ज किया था कि कई बांग्लादेशी नागरिक वैध दस्तावेजों के बिना पुणे में रह रहे थे।
वे अल कायदा के प्रमुख संगठन एबीटी के सदस्यों को बढ़ावा देने और सहायता करने में शामिल थे।
एक अधिकारी ने कहा, “सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने महाराष्ट्र के पुणे में मोहम्मद हबीबुर रहमान हबीब उर्फ राज जेसुब मंडल को रोका और उसके बाद पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया। एनआईए ने 18 मई 2018 को मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।”
एनआईए की जांच में पता चला था कि गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों ने अवैध रूप से भारत में घुसपैठ की थी। एनआईए अधिकारी ने कहा, "उन्होंने फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराकर फर्जी नामों के तहत धोखाधड़ी से पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड प्राप्त किए थे और जानबूझकर उक्त आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल भारतीय सिम कार्ड खरीदने, बैंक खाते खोलने और भारत में रोजगार तलाशने के लिए किया था।"
अधिकारी ने कहा, “इसके अलावा, उन्होंने पुणे में एक निर्माण स्थल पर समद मिया उर्फ तनवीर उर्फ सैफुल उर्फ तुषार विश्वास और अन्य एबीटी सदस्यों को आश्रय दिया था। उन्होंने एबीटी के सदस्य तुषार विश्वास और अन्य सदस्यों को पैसे भी दिए।”
एनआईए ने 7 सितंबर 2018 को सभी गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
अधिकारी ने कहा, “सोमवार को, दो आरोपी व्यक्तियों, रिपेन हुसैन और मोहम्मद हसन अली को एनआईए विशेष अदालत ने आईपीसी और विदेशी नागरिक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। अदालत ने उन्हें पांच-पांच साल की कैद और दो-दो हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।"
--आईएएनएस
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