शेखपुरा, 10 नवंबर (आईएएनएस)। आज अक्षय नवमी है और इस दिन लोग आंवला वृक्ष की पूजा करते हैं। यही नहीं, वह वृक्ष का फेरा भी लगाते हैं। इस अवसर पर बिहार के शेखपुरा नगर परिषद क्षेत्र में स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर में महिलाएं और युवतियों की भारी भीड़ देखने को मिली। दरअसल, हर साल अक्षय नवमी पर यहां लोगों को हुजूम उमड़ता है। आज ही के दिन महिलाएं आंवला वृक्ष में धागे की फेरी लगाती हैं और भुआदान करती हैं।
इसके अलावा आंवला के वृक्ष के नीचे खिचड़ी या कोई अन्य पकवान बनाने का भी रिवाज है। लोगों का मानना है की वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में खुशियां आती हैं।
पूजा करने आईं महिला रश्मि ने बताया कि आज अक्षय नवमी है और इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा होती है। साथ ही भुआदान भी किया जाता है और यहां सभी महिलाएं खाना बनाकर खाती हैं और भुआ को गुप्त दान कर पूजा की जाती है, इसलिए आज के दिन इसका काफी महत्व है। साथ ही हम भगवान से अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हैं।
एक अन्य महिला बेली देवी ने कहा कि अक्षय नवमी का काफी महत्व है और इस दिन पति के लंबी आयु के लिए पूजा की जाती है। साथ ही आंवले के वृक्ष पर धागे की फेरी लगाई जाती है और ब्राह्मणों के लिए खाना भी बनाया जाता है। इस दिन के अन्न का भी काफी महत्व होता है। आंवले के वृक्ष का पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जमालपुर मोहल्ला स्थित ठाकुरबाड़ी के महंत शिवकुमार पाठक ऊर्फ डबलू बाबा ने बताया कि अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा का बहुत बड़ा महत्व है। कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और आंवला नवमी की कथा सुनी जाती है। पूजा में आंवले के पेड़ की परिक्रमा भी करते हैं। पूजा-पाठ के साथ ही इस पर्व पर आंवले का दान भी करते हैं। इस पूजा से धन संपत्ति और पुत्र की प्राप्ति होती है।
उन्होंने कहा कि इसकी पूजा से घर में शांति और वैभव भी आता है। पूजा के बाद लोग यहां मंदिर परिसर में खिचड़ी का प्रसाद बनाकर आंवले के वृक्ष के नीचे खाते हैं। आज ही के दिन लोग भुआदान भी करते हैं, जिसे कुशमंडा के नाम से भी जानते हैं।
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