iGrain India - नई दिल्ली । भारत ने म्यांमार के प्रशासन से आपसी मुद्रा में व्यापारिक लेन-देन के सेट्लमेंट की गति तेज करने का आग्रह किया है। एक निर्यातक संस्था के वरिष्ठ आधिकारी का कहना है कि इस व्यापारिक प्रणाली (तंत्र) पर दोनों देशों में सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन चुकी है लेकिन इसे व्यावहारिक धरातल पर उतारने की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल रही है।
ज्ञात हो कि म्यांमार के व्यापार मंत्री अभी भारत के दौरे पर है। भारतीय निर्यातकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे कोलकाता में जाकर मुलाकात की और यह मामला उठाया।
मीटिंग के बाद इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन कौंसिल के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि म्यांमार के मंत्री ने आश्वस्त किया है कि यह नई प्रणाली जल्दी ही क्रियाशील हो जाएगी।
ध्यान देने की बात है कि अनेक देशों की भांति म्यांमार को भी विदेशी मुद्रा भंडार की कमी का संकट झेलना पड़ रहा है। गत वर्ष उसने घोषणा की थी कि बहुत जल्दी वह कारोबार में भारतीय रुपए को स्वीकार करना आरंभ कर देगा।
इसके अलावा थाईलैंड की मुद्रा- 'बहत' तथा चीन की मुद्रा- रेनमिम्वी को भी भारतीय रुपए के साथ आधिकारिक सेट्लमेंट की करेंसी के तौर पर स्वीकार करेगा ताकि अमरीकी डॉलर पर निर्भरता घटाई जा सके।
निर्यातकों का कहना है कि यदि यह व्यवस्था प्रभावी (लागू) हो गई तो म्यांमार को भारत से फार्मा उत्पादों तथा मैन्युफैक्चरिंग सामानों का निर्यात बढ़ाने एवं म्यांमार से भारत में दलहनों, लकड़ी तथा अन्य उत्पादों का आयात करने में सहायता मिलेगी।
भारत का पूर्वोत्तर पड़ोसी देश है म्यांमार। वर्तमान समय में दोनों देशों के बीच करीब 1.80 अरब डॉलर का सालाना कारोबार हो रहा है जबकि नई मौद्रिक व्यवस्था चालू होने पर द्विपक्षीय व्यापार में भारी बढ़ोत्तरी हो जाएगी।