iGrain India - तिरुचि । तमिलनाडु में मानसून की वर्षा कम होने तथा कावेरी नदी में पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं रहने से साम्बा धान के उत्पादकों की कठिनाई बहुत बढ़ गई है। जब किसानों ने कृषि विभाग को अपनी समस्या से अवगत करवाया तब उन्हें विषम परिस्थिति की जानकारी देते हुए अधिकारीयों ने धान के बजाए मक्का एवं दलहन जैसी वैकल्पिक फसलों की खेती को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया।
अधिकारियों का कहना था कि तिरुचि जिले में बारिश कम होने से कावेरी डेल्टा में पानी का अभाव हो गया है जबकि कावेरी नदी जल बंटवारे के तहत तमिलनाडु के हिस्से में आने वाले पानी पर कर्नाटक के साथ विवाद अभी जारी है।
साम्बा सीजन के दौरान किसानों को धान की खेती करने से पहले तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा।
कृषि अधिकारियों ने किसानों से कहा कि मक्का और दलहनों की खेती करना लाभदायक साबित हो सकता है। मक्का का खरीद मूल्य 23 रुपए प्रति किलो एवं मूंग का 85 रुपए प्रति किलो है। बाजार भाव स्थिर बना हुआ है और दलहनों में अच्छी मांग भी है।
उल्लेखनीय है कि तिरुचि जिले में प्रति वर्ष करीब 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में साम्बा धान की खेती की जाती है। पानी के अभाव को देखते हुए किसानों ने कृषि विभाग से इसकी खेती के बारे में सुझाव मांगा था।
अधिकारीयों ने स्पष्ट कहा की पानी की उपलब्धता की स्थिति अनिश्चित है इलसिए किसानों को ऐसी वैकल्पिक फसलों की खेती पर विशेष जोर देना चाहिए जो कम समय में पककर तैयार हो जाए और जिसे सिंचाई के लिए पानी की कम जरूरत पड़े।
इससे किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा किशन स्कीम के तहत मोटे अनाजों एवं दलहनों की खेती पर किसानों को सब्सिडी दी जाती है।
इस बार राष्ट्रीय स्तर पर दलहनों का क्षेत्रफल घटा है और इसलिए आगे भी इसकी कीमतों में तेजी-मजबूती का रुख बरकरार रह सकता है जिससे किसानों को फायदा होना निश्चित है।