iGrain India - कोच्चि । दक्षिणी राज्यों में स्थिति बेहतर होने से कालीमिर्च का उत्पादन बढ़ने के आसार हैं। उद्योग- व्यापार समीक्षकों के अनुसार देश के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- कर्नाटक के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मौसम की हालत अनुकूल होने से फसल की बेहतर प्रगति हुई।
इसके अलावा तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में कुछ नए क्षेत्रों में कालीमिर्च की खेती हुई है जिसमें इस बार उत्पादन आरंभ हो जाएगा। उत्पादकों एवं व्यापारियों को इस बार कालीमिर्च का शानदार घरेलू उत्पादन होने का भरोसा है।
भारतीय कालीमिर्च एवं मसाला व्यापार संघ (इप्सटा) के अनुसार कालीमिर्च का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 64 हजार टन से करीब 10 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 के सीजन में 70 हजार टन पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
दरअसल आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु के कई क्षेत्रों में कालीमिर्च के नए-नए बागान लगाए गए हैं जिसमें गुंटूर, नामाक्कल, कुडालूर, येरकौड, कोडाई कनाल तथा कोल्ली हिल्स आदि शामिल हैं। घरेलू बाजार में ऊंचे भाव को देखते हुए कालीमिर्च की खेती में इन क्षेत्रों के किसानों का आकर्षण काफी बढ़ गया है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के सीजन में कालीमिर्च का घरेलू उत्पादन घटकर 64 हजार टन पर सिमट गया जबकि 2021-22 के सीजन में 70 हजार टन पर पहुंच गया था।
देश के सबसे अग्रणी उत्पादक राज्य- कर्नाटक में इस बार फसल की हालत काफी अच्छी दिखाई पड़ रही है। वहां कोडागू एवं चिकमगलूर इसके दो प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
कोडागू जिले के मादीकेरी क्षेत्र में फसल की स्थिति को देखते हुए उत्पादकों का मानना है कि पिछले साल के मुकाबले 2023-24 सीजन के दौरान कर्नाटक में कालीमिर्च का उत्पादन 25-30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इससे आपूर्ती एवं उपलब्धता की स्थिति आगे सुगम बनी रह सकती है।
गार्बल्ड श्रेणी की कालीमिर्च का नीलामी मूल्य जुलाई 2023 से ही ऊंचा चल रहा था मगर अब यह कुछ नरम पड़कर 605 रुपए प्रति किलो पर आ गया गया है जबकि उत्पादक मंडियों / क्षेत्रों में इसका भाव नीलामी मूल्य से 8-10 प्रतिशत नीचे चल रहा है।
कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिशन के पूर्व चेयरमैन के अनुसार राज्य में कालीमिर्च का उत्पादन 2021-22 के 30 हजार टन से 20 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में 36 हजार टन पर पहुंचा था जबकि 2023-24 में 40 हजार टन से ऊपर पहुंच सकता है।