नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को सदस्यों की नियुक्ति के लिए चयन समिति के गठन पर क्रमशः उपराज्यपाल कार्यालय और दिल्ली सरकार से निर्देश लेने का निर्देश दिया, ताकि कोई व्यावहारिक समाधान निकाला जा सके।शीर्ष अदालत ने मामले को सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने की अध्यक्षता वाली पीठ दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के दो सदस्यों की नियुक्ति के लिए दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तीन न्यायाधीशों की पीठ को बताया कि वह दो सदस्यों को प्रोटेम आधार पर नियुक्त कर सकती है जैसा कि उसने अगस्त में डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए किया था।
अदालत ने सुझाव दिया कि न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन, जो वर्तमान में बिजली के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) का नेतृत्व कर रहे हैं, एक चयन समिति का नेतृत्व कर सकते हैं और दिल्ली सरकार और एलजी दोनों समिति में एक-एक सदस्य को नामित कर सकते हैं। सीजेआई ने यह भी सुझाव दिया कि वे चयन समिति में एक पूर्व एससी जज, जस्टिस रंगनाथन और दिल्ली सरकार के एक अधिकारी को रख सकते हैं।
लेकिन सिंघवी ने सुझाव दिया कि न्यायमूर्ति रंगनाथन के स्थान पर एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश को नियुक्त किया जाना चाहिए।
अदालत ने दोनों पक्षों को मामले पर निर्देश प्राप्त करने और सोमवार को वापस आने का निर्देश दिया है।
4 अगस्त को, एलजी और मुख्यमंत्री की नियुक्ति पर आम सहमति नहीं बन पाने के बाद शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जयंत नाथ को डीईआरसी के तदर्थ अध्यक्ष के रूप में नामित किया।
दिल्ली सरकार ने नियुक्तियों के मामले में निर्वाचित सरकार पर उपराज्यपाल को अधिभावी शक्तियां देने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रावधानों को चुनौती दी है।
याचिका पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष विचाराधीन है।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर को कहा था कि डीईआरसी के अध्यक्ष की नियुक्ति के मुद्दे पर 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष लंबित कार्यवाही के नतीजे का इंतजार करना होगा।
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