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खाद्य सुरक्षा के मुद्दे के स्थायी समाधान में लग सकता है कुछ और समय

प्रकाशित 27/02/2024, 12:10 am
खाद्य सुरक्षा के मुद्दे के स्थायी समाधान में लग सकता है कुछ और समय

iGrain India - जेनेवा । विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 13 वें मंत्री स्तरीय कांफ्रेस से पूर्व तैयार किए गए एक ड्राफ्ट (प्रारूप) पत्र में अगली मांग स्तरीय बैठक तक खाद्य सुरक्षा के लिए सरकारी (सार्वजनिक) तौर पर खाद्यान्न के भंडारण हेतु एक स्थायी समाधान पर सहमति व्यक्त करने तथा उसे अपनाने का प्रस्ताव देखा गया है।

इसका मतलब है कि जिस स्थायी समाधान के लिए भारत लम्बे समय से पूरी सक्रियता के साथ विचार-विमर्श करता जा रहा है वहां अगले दो वर्षों तक संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि आमतौर पर यह मंत्री स्तरीय बैठक दो वर्षों में एक बार होती है।

इस नियम प्रारूप में एक अन्य विकल्प का जिक्र भी किया गया है कि अभी जो 26 फरवरी 2024 से अबुधाबी में 13 वे मंत्री स्तरीय कांफ्रेंस का आयोजन होने जा रहा है उसमें स्थायी समाधान को अपनाया जाए। इस बीच भारत के आंदोलन कारी किसान आज यानी 26 फरवरी को 'डब्ल्यू टीओ छोड़ी' दिवस मना रहे हैं।  

इस मंत्री स्तरीय बैठक में किए जाने वाले अंतिम निर्णय का पता तो बाद में चलेगा अब अंतिम दौर की बातचीत चालू सप्ताह के दौरान सम्पन्न होगी लेकिन इस बीच 25 फरवरी को विकासशील देशों के जी 33 ग्रुप ने एक बयान जारी करके डब्ल्यू टीओ के सभी सदस्य देशों से इस मुद्दे पर एक स्थायी समाधान पर सहमति व्यक्त करने एवं उसे अपनाने के लिए संयुक्त रूप से गंभीर प्रयास करने का आग्रह किया है।

इसका कहना है कि खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से सरकारी टूर पर खाद्यान्न का स्टॉक बनाना अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय है और खासकर विकासशील देशों के लिए यह खास तथा विशेष मामला है। 

जी 33 ग्रुप के यह प्रायोजक सदस्यों ने अफ्रीकी समूह तथा अफ्रीकन, वैरीवियन एवं पैसिफिक ग्रुप द्वारा जमा किए गए प्रस्ताव के महत्व पर जोर देते हुए कहा है

कि अन्य देशों को भी इन प्रस्तावों में शामिल तत्वों पर रचनात्मक विचार प्रस्तुत करने के लिए आगे आना चाहिए। इसे 13 वीं मंत्री स्तरीय बैठक में खाद्य सुरक्षा उद्देश्य के लिए खाद्यान्न के सकरी भंडारण के मुद्दे पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने हेतु एक आधार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

जहां तक भारत का सवाल है तो यह जल्दी से जल्दी स्थायी समाधान के पक्ष में है और पिछले कई वर्षों से इसके लिए गंभीर प्रयास भी कर रहा है। केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसान से खाद्यान्न की खरीद करती है और इस पर सब्सिडी देकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए इसका वितरण करती है। डब्ल्यू टीओ के व्यापार नियमों के तहत भारत के एमएसपी पर विशेष नजर रखी जा रही है जिसमें धान (चावल) मुख्य रूप से शामिल है।  

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