बीजिंग, 25 अगस्त (आईएएनएस)। अनगिनत लोगों के विरोध के बावजूद जापान सरकार ने 24 अगस्त को दोपहर 1 बजे फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के प्रदूषित पानी को समुद्र में छोड़ना आरंभ किया। समुद्री पारिस्थितिकी और मानव स्वास्थ्य के लिए यह एक "हमला" है। यह दिन वैश्विक समुद्री वातावरण का एक आपदा दिवस बन गया है। जापान सरकार पूरी तरह से पारिस्थितिक वातावरण को नष्ट करने और वैश्विक समुद्री प्रदूषण करने वाली सरकार बन गयी है, जिसकी गलती इतिहास में कभी मिटायी नहीं जा सकती है।
टोक्यो पावर कंपनी प्लान के अनुसार, 17 दिनों के भीतर 7800 टन परमाणु-प्रदूषित पानी को समुद्र में छोड़ा जाएगा। 2023 में लगभग 31.2 हज़ार टन के निर्वहन की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि जापान में लगभग 13 लाख टन परमाणु प्रदूषित पानी है, और डिस्चार्ज का समय 30 से 50 साल तक हो सकता है।
संबंधित अनुसंधान सिमुलेशन से पता चलता है कि परमाणु-प्रदूषित पानी नवंबर 2026 में उत्तरी अमेरिका के तट पर पहुंच सकता है और लगभग उत्तरी प्रशांत को कवर कर सकता है। फरवरी 2030 में, यह हिंद महासागर में और 10 साल बाद लगभग पूरे प्रशांत महासागर में फैल जाएगा।
12 साल पहले फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना ने बड़ी संख्या में रेडियोधर्मी पदार्थों को महासागर में फैला दिया, जिससे गंभीर आपदाएं हुईं।
12 साल बाद जापान परमाणु प्रदूषित जल को सीधे समुद्र में छोड़ रहा है, जिससे स्थानीय लोगों और यहां तक कि दुनिया के लोगों को फिर एक बार नुकसान होने लगेगा।
जापान सरकार द्वारा समुद्र में परमाणु-प्रदूषित पानी के छोड़ने का निर्णय लेने के बाद जापान में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने विरोध किया। उन्होंने सरकार से योजना को रोकने की मांग की और कहा कि "यह अगली पीढ़ी में आपदा लाएगा।"
दक्षिण कोरिया ने 24 अगस्त को कहा कि जापान में फुकुशिमा उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध अपरिवर्तित रहेगा।
चीन ने भी घोषणा की है कि 24 अगस्त से, इसने जापानी जलीय उत्पादों के आयात को पूरी तरह से निलंबित कर दिया है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं जापान सरकार ने इसलिए पांच विकल्पों में समुद्र में छोड़ने की योजना चुनी है, इसका राजनीतिक कारक हैं।
टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी जापान में फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर स्टेशन के ऑपरेटर है, जो एक एकाधिकार कंपनी है।
जापानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई वरिष्ठ जापानी अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद कंपनी के सलाहकार के रूप में प्रत्येक वर्ष उच्च मात्रा में परामर्श के पैसे मिलते हैं।
जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस योजना के बारे में पूरी तरह "जिम्मेदार" होने का दावा किया है। लेकिन, जापानी राजनेता कैसे "जिम्मेदारी" उठा सकते हैं? भविष्य की पीढ़ियों को कैसे समझा सकेंगे?
जापान दुनिया की कड़ी निंदा और विभिन्न देशों का गंभीर विरोध का सामना करेगा। साथ ही जापान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मुआवजा का सामना करेगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस