रांची, 3 जुलाई (आईएएनएस)। प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) के सुप्रीमो दिनेश गोप ने शेल कंपनियों में करोड़ों का अवैध निवेश किया है।इससे संबंधित पुख्ता सूचनाएं मिलने के बाद ईडी ने आज रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में दिनेश से पूछताछ की। ईडी की टीम ने उनसे पूछा कि नक्सली संगठन के नाम पर की गई अवैध उगाही की रकम निवेश करने में किन लोगों ने उसकी मदद की।
पुलिस और राजनीतिक दलों में उसके मददगारों के बारे में भी पूछताछ की गई। बता दें कि लगभग दो दशक तक झारखंड पुलिस और एनआईए के लिए मोस्ट वांटेड रहे दिनेश को बीते 21 मई को नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। वह वर्तमान में रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद है।
ईडी को जानकारी मिली है कि दिनेश ने जिन शेल कंपनियों में करोड़ों का निवेश किया है, उनमें मेसर्स भाव्या इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स शिव आदि शक्ति मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स शक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और पलक इंटरप्राइजेज समेत अन्य कंपनियां शामिल हैं।
इन कंपनियों को दिनेश की पत्नी शकुंतला देवी अपने सहयोगी सुमंत के साथ चला रही थीं। इसमें दिनेश की दूसरी पत्नी गीता भी शामिल थी। दिनेश ने लेवी के पैसों को वैध बनाने के लिए ही शेल कंपनियां बना रखी थीं। इन्हीं शेल कंपनियों में वह अपनी काली कमाई के पैसे खपाता था।
ईडी ने दिनेश गोप से उसकी मदद करने वाले कारोबारियों और अफसरों के बारे में भी जानना चाहा। दिनेश ने बताया कि उसने करोड़ों रुपए की लेवी वसूली है। उसने यह भी कहा कि अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए वह कुछ व्यवसायियों का सहयोग ले रहा था। दिनेश से पूर्व में एनआईए और पुलिस भी पूछताछ कर चुकी है।
एनआईए ने दिनेश की पत्नियों के बैंक खाते से 19.93 लाख रुपए जब्त किए थे। जांच में पता चला था कि दो दर्जन से अधिक बैंक खातों में 2.50 करोड़ जमा हुए थे। ये खाते शेल कंपनियों और दिनेश के परिवार के सदस्यों के नाम पर थे। नोटबंदी के दौरान नवंबर 2016 में दिनेश का सहयोगी एक पेट्रोल पंप संचालक 25.38 लाख रुपए के पुराने नोट जमा कराने बैंक गया था।
पुलिस ने शक के आधार पर उसे पकड़ा। सख्ती से पूछताछ की तो उसने बताया था कि ये पैसे दिनेश के हैं। इसके बाद रांची के बेड़ो थाने में 10 नवंबर 2016 को एफआईआर दर्ज की गई थी। रांची पुलिस ने नौ जनवरी 2017 को पहली चार्जशीट दायर की थी। इसी केस की जांच के दौरान एनआईए दिनेश तक पहुंची थी।
--आईएएनएस
एसएनसी/एफजेड