नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)। फिनटेक प्लेटफॉर्म भारतपे ने मंगलवार को कहा कि उसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से एक ऑनलाइन पैमेंट एग्रीगेटर (पीए) के रूप में काम करने के लिए सैद्धांतिक रूप से प्राधिकरण प्राप्त हुआ है, क्योंकि यह अपने पूर्व सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर के साथ 88.6 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अदालती लड़ाई लड़ रहा है।कंपनी ने कहा कि रेसिलिएंट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड (भारतपे) की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी रेसिलिएंट पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।
भारतपे के सीएफओ और अंतरिम सीईओ, नलिन नेगी ने कहा, भारतपे में, हम देश में ऑफलाइन व्यापारियों और किराना स्टोर मालिकों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमने पहले ही 400 से अधिक शहरों में 1 करोड़ व्यापारियों का नेटवर्क बना लिया है।
उन्होंने कहा, सैद्धांतिक अनुमोदन हमारी विस्तार योजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद करेगा और हमें डिजिटल भुगतान स्वीकृति समाधान प्रदान करते हुए लाखों और बिना बैंक वाले और कम सेवा वाले व्यापारियों तक पहुंचने में सक्षम करेगा।
भारतपे ने कहा कि अब वह निर्धारित समय सीमा के भीतर उक्त शर्तो को पूरा करने पर काम शुरू करेगा और आरबीआई से अंतिम प्राधिकरण प्राप्त होने पर उक्त ऑनलाइन पीए व्यवसाय शुरू करेगा।
कंपनी यूपीआई ऑफलाइन लेनदेन में अग्रणी है, जो प्रति माह 18 करोड़ से अधिक यूपीआई लेनदेन (वार्षिक लेनदेन भुगतान में 24 अरब डॉलर से अधिक का संसाधित मूल्य) संसाधित करती है।
कंपनी ने पहले ही 450,000 से अधिक व्यापारियों को 8,500 करोड़ रुपये के करीब ऋण वितरण की सुविधा प्रदान की है।
भारतपे ने कहा कि इसका पॉइंट ऑफ सेल (NS:SAIL) (पीओएस) व्यवसाय अब अपनी मशीनों पर सालाना 4 अरब डॉलर से अधिक के भुगतान की प्रक्रिया करता है।
--आईएएनएस
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