नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। जर्मनी 2023 में जापान के पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। एचडीएफसी (NS:HDFC) सिक्योरिटीज के खुदरा अनुसंधान प्रमुख दीपक जसानी ने यह बात कही।उन्होंने कहा कि जापान का नॉमिनल जीडीपी पिछले साल कुल 4.2 लाख करोड़ डॉलर या लगभग 591 लाख करोड़ येन था। पिछले महीने घोषित जर्मनी का जीडीपी 4.4 लाख करोड़ डॉलर से 4.5 लाख करोड़ डॉलर के बीच था।
वास्तविक जीडीपी पर कैबिनेट कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, नवीनतम अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में साल-दर- साल आधार पर जापानी अर्थव्यवस्था में 0.4 प्रतिशत का संकुचन रहा। पूरे साल के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद पिछले वर्ष की तुलना में 1.9 प्रतिशत बढ़ गया।
इससे पहले जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.3 प्रतिशत संकुचन रहा था। उन्होंने कहा कि लगातार दो तिमाहियों में संकुचन को व्यापक रूप से तकनीकी मंदी माना जाता है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जापान की अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाहियों तक सिकुड़ने के बाद अप्रत्याशित रूप से मंदी की चपेट में आ गई है।
देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 के आखिरी तीन महीनों में एक साल पहले की तुलना में उम्मीद से ज्यादा 0.4 प्रतिशत घट गया।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के कैबिनेट कार्यालय के आंकड़े यह भी संकेत देते हैं कि देश ने जर्मनी के हाथों दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का अपना स्थान भी खो दिया है।
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि नए आंकड़ों से पता चलेगा कि पिछले साल की चौथी तिमाही में जापान की जीडीपी 1 प्रतिशत से अधिक बढ़ी।
अक्टूबर में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया था कि अमेरिकी डॉलर में मापने पर जर्मनी के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जापान से आगे निकलने की संभावना है।
आईएमएफ अपनी रैंकिंग में बदलाव की घोषणा तभी करेगा जब दोनों देश अपने आर्थिक विकास के आंकड़ों के अंतिम संस्करण प्रकाशित कर देंगे। इसने 1980 में अर्थव्यवस्थाओं की तुलना करते हुए डेटा प्रकाशित करना शुरू किया।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा डॉलर के मुकाबले जापानी मुद्रा की कमजोरी के कारण हुआ है और अगर येन ठीक हो जाता है, तो देश फिर से तीसरा स्थान हासिल कर सकता है।
इस महीने टोक्यो में एक संवाददाता सम्मेलन में, आईएमएफ की उप प्रमुख गीता गोपीनाथ ने भी कहा कि जापान की रैंकिंग में संभावित गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण पिछले साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले येन का लगभग नौ प्रतिशत गिरना था।
हालाँकि, येन की कमजोरी ने जापान की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर की कीमतों को बढ़ाने में मदद की है क्योंकि इससे देश के निर्यात विदेशी बाजारों में सस्ते हो जाते हैं।
इस सप्ताह, टोक्यो का मुख्य स्टॉक सूचकांक, निक्केई 225 वर्ष 1990 के बाद पहली बार 38 हजार अंक को पार कर गया। निक्केई 225 की रिकॉर्ड ऊंचाई 38,915.87 29 दिसंबर 1989 को दर्ज की गई थी।
--आईएएनएस
एकेजे/