नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। इतिहास के पन्नों में बहुत कुछ दर्ज होता है। कुछ जो सुखद अनुभव कराता है तो वहीं कुछ जो असीम दर्द और पीड़ा दे जाता है। ऐसा ही कुछ दुखद पल 6 अगस्त का दिन भी अपने साथ लेकर आता है और इस दिन को 'हिरोशिमा दिवस' के रूप में दुनिया याद करती है।
इस दिन का इतिहास हमें याद दिलाता है कि परमाणु हथियारों का उपयोग दुनिया के लिए कितना विनाशकारी हो सकता है। 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम से हमला किया था। अमेरिकी बमवर्षक विमान 'एनोला गे' ने "लिटिल बॉय" नामक परमाणु बम को हिरोशिमा पर गिराया था।
जानकारी के मुताबिक यह परमाणु बम लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर विस्फोट हुआ था। देखते ही देखते पूरा शहर मिट्टी में मिल गया था, जिसके निशान आज भी वहां पर मौजूद हैं। हिरोशिमा दुनिया का पहला शहर है, जिसके ऊपर परमाणु बम से हमला किया गया था।
इस भयंकर विस्फोट ने हिरोशिमा शहर को लगभग पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। इस हमले में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी, लाखों इसकी चपेट में आए। इस विनाशकारी हमले के बाद लाखों लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। अमेरिका ने इसके तीन दिन बाद 9 अगस्त 1945 को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर परमाणु हमला किया था।
दरअसल, 1 सितंबर, 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ। 1945 में 6 साल पूरे हो रहे थे। भारी तबाही मची थी। आम लोग बेहाल थे लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल रहा था। उस समय जापान एक ताकतवर देश हुआ करता था। वो द्वितीय विश्व युद्ध में लगातार हमले पर हमले कर रहा था। इसी हमले के जवाब में अमेरिका ने जापान के ऊपर परमाणु बम से हमला कर दिया था।
अमेरिका से की गई इस परमाणु बम बारी के बाद दूसरा विश्व युद्ध तुरंत खत्म करने का ऐलान कर दिया गया था। इसके बाद जापान ने 14 अगस्त 1945 को मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से लेकर 1945 के बीच 6 साल तक लड़ा गया था। हिरोशिमा दिवस इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कई देशों में युद्ध-विरोधी और परमाणु-विरोधी प्रदर्शनों पर केंद्रित रहता है। यह दिन परमाणु हमले के विध्वंस की कहानी कहता है और दुनिया को बताता है कि हिंसा कभी भी किसी का भला नहीं करती सिर्फ पीढ़ियां बर्बाद करती है।
--आईएएनएस
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