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संयुक्त राष्ट्र ने भारत को सशस्त्र संघर्षों में बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत वाले देशों की सूची से हटाया

प्रकाशित 28/06/2023, 06:23 am
संयुक्त राष्ट्र ने भारत को सशस्त्र संघर्षों में बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत वाले देशों की सूची से हटाया

संयुक्त राष्ट्र, 28 जून (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हालात से निपटने के लिए देश द्वारा उठाए गए कदमों के बाद भारत को उन देशों की सूची से हटा दिया है, जिन्हें बच्चों पर सशस्त्र संघर्षों के प्रभाव पर ध्यान देने की जरूरत है।उन्होंने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में लिखा, "बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के मद्देनजर, भारत को बच्चों और सशस्त्र संघर्ष (सीएएसी) पर 2023 की रिपोर्ट से हटा दिया गया है।"

लेकिन अलग से उनकी सीएएसी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल पाकिस्तान की ओर से सीमा पार गोलाबारी में पांच बच्चे हताहत हुए थे।

पिछले साल गुटेरेस की रिपोर्ट में आतंकवादी समूहों और सरकारी बलों दोनों द्वारा भारत में "गंभीर उल्लंघन" और कश्मीर स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा बच्चों की भर्ती का उल्लेख किया गया था। वहीं इससे पहले की रिपोर्टों में माओवादियों द्वारा बच्चों की भर्ती का भी जिक्र किया गया था।

भारत को असूचीबद्ध करने वाली अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, गुटेरेस ने कहा, "मैंने बच्चों की सुरक्षा के लिए अपने विशेष प्रतिनिधि" वर्जीनिया गाम्बा के साथ भारत सरकार की भागीदारी का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि विशेष प्रतिनिधि कार्यालय ने बाल संरक्षण के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक तकनीकी मिशन भेजा था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी से पिछले साल कश्मीर में बाल संरक्षण को मजबूत करने पर एक कार्यशाला आयोजित की थी।

उनकी रिपोर्ट में सशस्त्र संघर्षों में पकड़े गए बच्चों की वैश्विक स्थिति की गंभीर तस्वीर दी गई है, जिसमें गंभीर उल्लंघनों के साथ पिछले साल 2021 की तुलना में 27,180 तक वृद्धि हुई है, जब 23,982 मामले दर्ज किए गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की घटनाओं में 24 स्थितियों और एक क्षेत्रीय निगरानी व्यवस्था में 18,890 बच्चे - 13,469 लड़के, 4,638 लड़कियां और 783 अज्ञात लिंग शामिल थे।

इसमें कहा गया है कि वर्ष के दौरान 2,985 बच्चे मारे गए और 5,666 अपंग हो गए।

भारत को सूची से हटाने के कदमों के बारे में बताते हुए गाम्बा ने कहा, “भारत दो साल पहले हमारे कार्यालयों और जमीनी स्तर पर हमारे लोगों, दिल्ली में स्थानीय समन्वयक के साथ-साथ देश में यूनिसेफ के प्रतिनिधि के पास आया था और संकेत दिया था कि वे यह देखने के लिए संलग्नता शुरू करने के लिए तैयार थे कि क्या वे ऐसे उपाय कर सकते हैं जो समय के साथ कायम रह सकें और उन्हें हटाया जा सके।"

हालांकि सहमत उपाय गोपनीय हैं, उन्होंने कहा कि गुटेरेस की रिपोर्ट उनके बारे में एक विचार देती है, जब वह पूरा किए जाने वाले कदमों को सूचीबद्ध करती है। गुटेरेस की रिपोर्ट में कहा गया है, "बाल संरक्षण पर सशस्त्र और सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण, बच्चों पर घातक और गैर-घातक बल के उपयोग पर प्रतिबंध, जिसमें पैलेट गन के उपयोग को समाप्त करना और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि बच्चों को अंतिम उपाय के रूप में हिरासत में लिया जाए। हिरासत में सभी प्रकार के दुर्व्यवहार को रोकना और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम का पूर्ण कार्यान्वयन भी जरूरी है।

उन्होंने कहा, "हम इस पैटर्न पर उनके साथ बहुत करीब से काम कर रहे हैं।"

पिछली रिपोर्टों में लश्कर-ए-तैयबा और माओवादियों सहित सूचीबद्ध किए गए सशस्त्र समूहों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि "यह हमेशा बहुत मुश्किल होता है जब आप किसी सूचीबद्ध पार्टियों के साथ चिंता की स्थिति में होते हैं।"

उन्होंने कहा, "इसलिए, संयुक्त कार्य योजना की कोई आवश्यकता या बाध्यता नहीं है।"

भारत में सक्रिय आतंकवादी समूह कोलंबिया जैसे देशों की तरह संगठित या संरचित या व्यापक नहीं हैं, और इसलिए, उनके साथ जुड़ना संभव नहीं है।

इस बीच, सीएएसी की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन के 23 मामले थे। इसमें कहा गया है कि "अज्ञात सशस्त्र तत्वों द्वारा" तीन बच्चों की कथित तौर पर हत्या कर दी गई और 17 को अपंग बना दिया गया।

इसमें कहा गया है, "स्कूलों पर तीन हमलों की भी सूचना मिली है, जिसमें एक लड़कियों के मिडिल स्कूल पर तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों के इस्तेमाल से जुड़ा हमला भी शामिल है।"

--आईएएनएस

एसजीके

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