इस्लामाबाद, 27 जुलाई (आईएएनएस)। पाकिस्तान जैसे-जैसे आम चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए एक कार्यवाहक व्यवस्था लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान कानूनी लड़ाई जारी है।
वर्तमान में, खान के खिलाफ देशद्रोह, भ्रष्टाचार, राज्य के रहस्यों को उजागर करने और अवमानना सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं, इससे उन्हें अदालतों से राहत पाने के तरीके खोजने के लिए अपनी कानूनी टीम के साथ घंटों बिताने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कई महीनों से, खान व उनकी टीम मामलों की वैधता पर सवाल उठाकर, जमानत प्राप्त करके या कार्यवाही का हिस्सा बनकर कानूनी सुनवाई से निपटने की कोशिश कर रही है।
हालांकि, ये युक्तियां भी निरर्थक साबित हो रही हैं, विशेषकर गंभीर दुष्परिणामों वाले मामलों में, इसके परिणामस्वरूप गिरफ्तारी, राजनीतिक अयोग्यता और कुछ मामलों में मृत्युदंड भी हो सकता है।
कुछ प्रमुख मामले, जो पूर्व प्रधानमंत्री के राजनीतिक करियर को खतरे में डाल सकते हैं, वे हैं तोशखाना, अल-कादिर ट्रस्ट फंड और सिफर जांच।
तोशखाना (उपहार भंडार) मामले में, खान पर विभिन्न राजनयिकों और देशों के राष्ट्राध्यक्षों से प्रधान मंत्री के रूप में प्राप्त उपहारों को अवैध रूप से बेचने का आरोप है।
पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने तोशाखाना संदर्भ में एक ऐतिहासिक फैसला जारी किया था, जिसमें खान को कम से कम पांच साल के लिए सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
अल-कादिर ट्रस्ट फंड मामले में, खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर अल-कादिर विश्वविद्यालय नामक एक शैक्षणिक संस्थान बनाने के लिए बिजनेस टाइकून मलिक रियाज़ से अरबों रुपये की जमीन प्राप्त करने का आरोप है।
रियल एस्टेट व्यवसायी रियाज़ के साथ अवैध सौदे से राष्ट्रीय खजाने को 239 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है।
रियाज़ ने सरकार के चैनलों का उपयोग करके खान के खाते में पैसे भेजने के लिए बंद दरवाजे की बैठकों के माध्यम से व्यवस्था की और तत्कालीन प्रधान मंत्री को उस पैसे का उपयोग जमीन खरीदने और पंजाब के मियांवाली के पास अल-कादिर ट्रस्ट विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए करने की पेशकश की।
इसके अलावा, रियाज़ ने कथित तौर पर खान की पत्नी को हीरे भी दिए और पूर्व प्रधान मंत्री के सहायोग के बदले में कई एकड़ जमीन भी खरीदी।
खान और बुशरा बीबी अल-कादिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं।
हालांकि, यह एक तथ्य है कि खान जानबूझकर खुद को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा की जा रही मामले की जांच से दूर रख रहे हैं, इसके परिणामस्वरूप जांच में सहयोग न करने पर उनकी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
खान का दावा है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद उन्हें राजनीतिक दौड़ से बाहर करना है।
तीसरा महत्वपूर्ण मामला सिफर का है, जो प्रसिद्ध पेपर फ्लैश है, जो खान ने इस्लामाबाद में एक सार्वजनिक रैली के दौरान किया था। इसमें दावा किया गया था कि उनके हाथ में एक राजनयिक तार है, जो उन्हें सत्ता से बेदखल करके शासन परिवर्तन की अमेरिकी नेतृत्व वाली साजिश का संकेत देता है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि खान के खिलाफ इन सभी मामलों के पीछे राजनीतिक मकसद है।
सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उन्हें अगले चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर राजनीतिक दौड़ से बाहर कर दिया जाए।
---आईएएनएस
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