iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने घरेलू बाजार में दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पिछले महीने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने के निर्णय की घोषणा करते हुए इसकी समय सीमा 31 मार्च 2024 तक नियत की थी। पीली मटर का आयात 31 मार्च 2024 के बाद भी जारी रहेगा या नहीं- इस पर अभी अनिश्चितता बनी हुई है।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) द्वारा हाल ही में आयोजित एक वेबिनार में एक वक्त ने कहा था कि चालू वर्ष के अंत में पीली मटर का आयात खोला गया है और हो सकता है कि अगले सीजन के अंत में भी इसके अनुमति प्रदान की जाए।
उनका मानना था कि चालू रबी सीजन के दौरान चना के घरेलू उत्पादन में काफी गिरावट आ सकती है क्योंकि इसका बिजाई क्षेत्र गत वर्ष करीब 10 प्रतिशत पीछे चल रहा है।
वेबीनार में एक विश्लेषक ने कहा कि चना का उत्पादन 2022-23 के मुकाबले 2023-24 सीजन के दौरान 9 प्रतिशत घटकर 110 लाख टन के करीब सिमट सकता है लेकिन यदि जनवरी में प्रमुख उत्पादक इलाकों में मौसम शुष्क एवं गर्म रहा तो उत्पादन में और भी भारी गिरावट आ सकती है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ भागों में मानसून की बारिश निराशाजनक रही जबकि उसके बाद भी लगभग औसत वर्षा ही हुई। चना उत्पादन में कमी की आशंका को देखते हुए सरकार ने 31 मार्च 2024 तक पीली मटर का आयात खोला है। इस अवधि के दौरान भारत में 4 से 6 लाख टन के बीच पीली मटर का आयात हो सकता है जो चना की कमी को कुछ हद तक पूरा कर देगा।
चना का उत्पादन 12.10 लाख टन घटने का अनुमान है जबकि इसका पिछला बकाया स्टॉक भी सीमित रहेगा। ऐसी हालत में सरकार को आगामी महीनों के दौरान मटर का आयात दोबारा खोलने की आवश्यकता पड़ सकती है।
अन्य दलहनों का भी ठोस सहारा नहीं मिलने वाला है क्योंकि 2023 के खरीफ कालीन दलहनों के उत्पादन में गिरावट आई है। विदेशों से मसूर के आयात में बढ़ोत्तरी हो रही है।
तुवर एवं उड़द का आयात भी बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया में 5.33 लाख टन चना के उत्पादन एवं 2.63 लाख टन के बकाया स्टॉक का अनुमान लगाया गया है जबकि भारत में इसके आयात पर 66 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा हुआ है।