कोलकाता, 15 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ईडी और सीएपीएफ कर्मियों पर 5 जनवरी को हुए हमले की जांच में ढुलमुल रवैये के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को कड़ी फटकार लगाई।
ईडी और सीएपीएफ कर्मियों पर उस समय हमला किया गया, जब उन्होंने राशन वितरण मामले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के आवास पर छापेमारी और तलाशी का प्रयास किया।
जैसे ही मामले से संबंधित एक मामला न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश पीठ में सुनवाई के लिए आया, उन्होंने मामले मे अब तक केवल चार लोगों को गिरफ्तार करने पर आपत्ति जताई।
न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि जब हमले का आरोप हजारों लोगों की भीड़ पर है, तो हमले के दस दिन बीत जाने के बाद केवल चार लोगों को कैसे गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में केस डायरी अदालत में जमा नहीं की है। “केवल केस डायरी ही बता सकती है कि मामले की जांच में अब तक क्या प्रगति हुई है। जस्टिस सेनगुप्ता ने सवाल किया, क्या घटना के बाद पुलिस ने शेख शाहजहां के घर के अंदर जाने का प्रयास किया?
उन्होंने राज्य पुलिस को मंगलवार तक केस डायरी अदालत में जमा करने का भी निर्देश दिया, जब मामले की दोबारा सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति ने यह भी सवाल किया कि राज्य पुलिस ने स्थानीय नज़ात पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (पीसी) की धारा 307 (हत्या के प्रयास के लिए सजा) को शामिल क्यों नहीं किया। जस्टिस सेनगुप्ता ने सवाल किया "क्या नज़ात पुलिस स्टेशन द्वारा मामले की जांच जारी रखने का कोई मतलब है?" .
राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि राज्य पुलिस की टीम ने तीन बार शेख शाहजहां के आवास का दौरा किया और हर बार उन्हें आवास पर ताला लगा मिला।
--आईएएनएस
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