रांची, 25 जनवरी (आईएएनएस)। 20 जनवरी को सीएम हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान सीएम आवास के पास भारी तादाद में सीआरपीएफ जवानों के पहुंचने की घटना पर उत्पन्न हुआ विवाद थम नहीं रहा। इस घटना के बाद प्रशासन की ओर से सीआरपीएफ के आईजी, कमांडेंट और जवानों पर धारा-144 के उल्लंघन के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अब, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सीआरपीएफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की कार्रवाई को गलत ठहराया है। राज्यपाल ने गुरुवार को रांची में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवाल पर तल्ख अंदाज में कहा कि उस दिन सीएम हाउस के पास झामुमो के कार्यकर्ता गैरजरूरी रूप से पहुंचकर हंगामा क्यों कर रहे थे? ऐसा लग रहा था कि यह एक रणनीति के तहत हो रहा था।
राज्यपाल ने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर ऐसे हालात क्यों बने कि सीआरपीएफ को वहां पहुंचना पड़ा?
गौरतलब है कि 20 जनवरी को जब ईडी की टीम सीएम हाउस में हेमंत सोरेन से पूछताछ कर रही थी, तब वहां से कुछ दूरी पर झामुमो के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर नारेबाजी कर रहे थे। रांची जिला प्रशासन का कहना है कि पूछताछ के दौरान विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई थी। इसी दौरान सीआरपीएफ के करीब 500 जवान खुद सीएम हाउस के पास पहुंच गए थे। प्रशासन ने न तो सीआरपीएफ को बुलाया था और न ही इसकी अनुमति दी गई थी।
इस घटना को लेकर रांची के सर्किल ऑफिसर मुंशी राम ने मुख्यमंत्री आवास के आसपास धारा-144 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए सीआरपीएफ के महानिरीक्षक, कमांडेंट और अन्य कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ताओं और भीम आर्मी समर्थकों के खिलाफ भी अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
इस मामले में सीएमओ ने राज्य सरकार के गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से पूछा था कि सीएमओ के पास प्रतिबंधित इलाके में 20 जनवरी को सीआरपीएफ जवानों की एंट्री कैसे हुई थी?
सत्तारूढ़ पार्टी झामुमो का आरोप है कि सीआरपीएफ ने सोची-समझी साजिश के तहत टुकड़ियां भेजी। वे बगैर अनुमति सीएम हाउस में प्रवेश करने लगे और झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने लगे। वे चाहते थे कि सीएम हाउस के पास प्रदर्शन कर रहे लोग उग्र होकर उन पर हमला कर दें। यह साजिश सफल हो जाती तो राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सकती थी। इस साजिश में सीआरपीएफ के आईजी, कमांडेंट और अन्य अफसरों की संलिप्तता है।
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