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मुम्बई। घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति अत्यन्त जटिल रहने, विदेशों से आयात सीमित होने तथा उपभोक्ताओं की मांग बरकरार रहने से अरहर (तुवर) के दाम में निर्बाध बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है।
जून के पहले सप्ताह तक इसका भाव उछलकर 10,000 रुपए प्रति क्विंटल से आगे निकल जाने का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था जबकि मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में यह मई के अंतिम सप्ताह में ही इस आंकड़े पर पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि वहां सरकार ने तुवर पर मंडी शुल्क में छूट दे रखी है लेकिन फिर भी कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है।
पिछले दिन इंदौर मंडी में महाराष्ट्र की तुवर का भाव बढ़कर 10,000 रुपए तथा कर्नाटक की तुवर का दाम उछलकर 10,200 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा जो वर्ष 2023 का सर्वोच्च मूल्य स्तर था। उधर चेन्नई में लेमन तुवर का दाम 9450 रुपए प्रति क्विंटल तथा जुलाई डिलीवरी का भाव 1190 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। साबुत तुवर की भांति तुवर दाल के दाम में पिछले 4-5 दिनों के अंदर 600 रुपए प्रति क्विंटल की जोरदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। उपलब्ध संकेतों से पता चलता है कि तुवर एवं इसकी दाल के दाम में निकट भविष्य में तेजी-मजबूती का माहौल बना रह सकता है।
निर्यातक देशों में तुवर का भाव तेज होता जा रहा है जिससे भारत में इसका आयात खर्च ऊंचा होना स्वाभाविक ही है। हालांकि केन्द्र सरकार तुवर की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि परिस्थितियां अभी अनुकूल नहीं हैं।
समझा जाता है कि हालात नहीं सुधरने पर तुवर का भाव आगामी समय में नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। उद्योग-व्यापार क्षेत्र के संगठनों द्वारा बार-बार सरकार को तुवर के बजाए चना, मसूर एवं मटर आदि का उपयोग बढ़ाने हेतु उपभोक्ताओं को जागरूक करने का सुझाव दिया जा रहा है मगर इस दिशा में अभी ठोस प्रयास होना बाकी है।
तुवर का घरेलू उत्पादन कम से कम 20 प्रतिशत घटा है जबकि इसके नए माल की आवक दिसम्बर-जनवरी में शुरू होगी। आगे अलनीनो का खतरा भी मंडरा रहा है। गत वर्ष अपेक्षाकृत बेहतर घरेलू उत्पादन होने के बावजूद देश में लगभग 8.50 लाख टन तुवर का आयात हुआ था जिसे चालू वर्ष के दौरान और भी बढ़ाने की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन वैश्विक स्तर पर इतना स्टॉक उपलब्ध होने में संदेह है।
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