iGrain India - वाशिंगटन । अमरीकी कृषि विभाग की विदेश कृषि सेवा (उस्डा-फ़ाय) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया गया है कि वर्ष 2018 से ही चना के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बढ़ोत्तरी का माहौल बना हुआ है अगर इसमें कुछ दिलचस्प घटनाक्रम भी जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार यद्यपि ऑस्ट्रेलिया इसका सबसे बड़ा निर्यातक देश है मगर वह इसका सबसे प्रमुख उत्पादक नहीं है।
चना का सर्वाधिक उत्पादन भारत में होता है और यहीं इसकी सबसे ज्यादा खपत भी होती है मगर यहां से चना का नगण्य निर्यात होता है। ऑस्ट्रेलिया में चना का उत्पादन वर्ष 2012 के 8.13 लाख टन से सुधरकर 2021 में 8.76 लाख टन पर पहुंचा।
वैसे वहां चना का उत्पादन वर्ष 2016 में बढ़कर 13 लाख टन तथा वर्ष 2017 में उछलकर 20 लाख टन के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था जब भारत इसका सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ था। ऑस्ट्रेलिया से उस समय भारत में चना का निर्यात तेजी से बढ़कर 1.10 अरब डॉलर से भी ऊपर पहुंच गया था जो उसके कुल वार्षिक निर्यात का 62 प्रतिशत रहा था।
लेकिन उसके बाद भारत में ऑस्ट्रेलिया से चना के आयात में जबरदस्त गिरावट आने लगी और यह घटकर 1 प्रतिशत से भी नीचे आ गया। दरअसल भारत सरकार ने देसी चना के आयात पर 60 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क और उस पर 10 प्रतिशत सरचार्ज सहित कुल 66 प्रतिशत का शुल्क लागू कर दिया।
इसे देखते हुए ऑस्ट्रेलिया के चना निर्यातकों को नए-नए बाजार की तलाश करने के लिए विवश होना पड़ा। लेकिन भारत जैसा विशाल बाजार नहीं मिल पाया।
यद्यपि पाकिस्तान एवं बांग्ला देश सहित कुछ अन्य देशों ने ऑस्ट्रेलिया से चना का आयात बढ़ाया मगर वह भारत की कमी को पूरा नहीं कर सका। इसके फलस्वरूप ऑस्ट्रेलिया से वर्ष 2018 के बाद सेचना के निर्यात कारोबर में कुछ सुधार आ रहा है मगर इसकी रफ्तार काफी धीमी देखी जा रही है।