iGrain India - जेनेवा । भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) से कहा है कि इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण सामने नहीं आया है कि उसकी गेहूं निर्यात नीति से अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा को कोई नुकसान या खतरा हुआ था वैश्विक व्यापार में कोई विसंगति उत्पन्न हुई।
कृषि परिचर्चा हेतु आयोजित एक बैठक में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि अगले वर्ष विश्व व्यापार संगठन के 13 वें मंत्री स्तरीय कांफ्रेंस में वाद-विवाद का केन्द्र खाद्य सुरक्षा पैकेज के इर्द गिर्द होना चाहिए और इसके मध्य भाग में सार्वजनिक स्टॉक धारिता के लिए समाधान केन्द्रित किया जाना चाहिए। भारत के इस प्रस्ताव को दुनिया के अनेक देशों का समर्थन प्राप्त हुआ।
भारत का कहना था कि वे दिन अब बीत चुके हैं जब कई देश केवल अनुशासन में रहते थे और उससे सम्बन्धित चिंताओं एवं समस्याओं के बारे में चर्चा अथवा वाद- विवाद करने का ज्ञान नहीं रखते थे।
23-24 अक्टूबर को डब्ल्यू टीओ के वरिष्ठ अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई जिसमें 164 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें 13 वे मंत्री स्तरीय परिचर्चा के लिए राजनीतिक दिशा रेखांकित की गई।
भारत ने कुछ देशों से यह भी कहा कि वे अपने देश के साथ-साथ अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा में समुचित योगदान देने के तरीके से मना करने के अहंकार को अलग रखेँ और आपस में मिल जुलकर वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का भरसक प्रयास करें।
भारत का कहना था कि कोरोना महामारी के दौरान उसने अपने पड़ोसियों के साथ-साथ कई अन्य देशों को भी कुल मिलाकर लगभग 200 लाख टन गेहूं उपलब्ध करवाया जिससे इन देशों के आम लोगों को भारी राहत मिली। बाद में ऑस्ट्रेलिया खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उसे गेहूं का निर्यात रोकना पड़ा।