iGrain India - विशाखापट्नम । दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (जून-सितम्बर) के दौरान आंध्र प्रदेश में सामान्य औसत से 13 प्रतिशत कम बारिश हुई जबकि चालू माह यानी अक्टूबर में वहां वर्षा का भारी अभाव देखा जा रहा है।
अक्टूबर के शुरूआती 25 दिनों में 89 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई जबकि खरीफ फसलों के लिए यह महीना अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। बारिश की भारी कमी से राज्य के कई क्षेत्रों में खासकर धान और दलहन की फसलों पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
आंध्र प्रदेश के सभी 26 जिलों में चालू माह के दौरान सामान्य स्तर से काफी कम वर्षा हुई। अधिकांश जिलों में बारिश की कमी 85 से 99 प्रतिशत के बीच रही। केवल तीन जिलों- कृष्णा पालनाडु एवं मान्यम में कहीं-कहीं थोड़ी-बहुत वर्षा हुई फिर भी वहां बारिश की कमी क्रमश: 60 प्रतिशत, 67 प्रतिशत एवं 70 प्रतिशत रही।
कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि वर्षा की भारी कमी से खेतों की मिटटी में नमी का काफी अभाव हो गया है जिससे खरीफ फसलों का विकास ठीक से नहीं हो रहा है और इसकी औसत उपज दर में जोरदार गिरावट आने की आशंका है।
मौसम विभाग के अमरावती केन्द्र ने कहा है कि राज्य में अगले कुछ दिनों तक मौसम शुष्क बना रहेगा क्योंकि दो चक्रवाती तूफानों की वजह से उत्तर-पूर्व मानसून के आगमन में देर हो जाएगी।
इस मानसून के सक्रिय होने पर नवम्बर-दिसम्बर के दौरान रॉयल सीमा संभाग तथा दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश में कुछ बारिश होने की संभावना है।
रायतु संगठन का कहना है कि बारिश के अभाव में धान की फसल सूखने लगी है और दलहनों की फसलें भी प्रभावित हुई हैं। यदि यथाशीघ्र समूचे आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश नहीं हुई तो अन्य खरीफ फसलों की हालत खराब हो जाएगी। मालूम हो कि दक्षिण भारत में धान की खेती लेट से होती है।
आंध्र प्रदेश के उत्तरी जिलों में धान की फसल को विशेष नुकसान हो रहा है। राज्य के विजयानगरम जिले में हालत काफी खराब बताई जा रही है। फसल को काफी नुकसान हो चुका है जबकि आगे और क्षति होने की आशंका है।
यदि शीघ्र ही अच्छी बारिश नहीं हुई तो रबी फसलों की बिजाई में भी बाधा पड़ सकती है। आंध्र प्रदेश में जहां धान की फसल पकने लगी है वहां भी किसानों के चेहरे पर ख़ुशी दिखाई नहीं पड़ रही है।