iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार विदेशों से दलहनों के आयात को प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत चालू वर्ष के दौरान 21.30 लाख टन दलहनों का आयात हो चुका है जिसमें करीब 10.80 लाख टन मसूर, 6.20 लाख टन तुवर (अरहर) तथा 4.20 लाख टन उड़द शामिल है।
भारत में दलहनों का आयात मुख्यत: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार मोजाम्बिक, तंजानिया, मलावी एवं सूडान जैसे देशों से किया जाता है। मसूर का आयात ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा से हो रहा है। चालू वर्ष में ऑस्ट्रेलिया से करीब 6 लाख टन तथा कनाडा से 4.60 लाख टन मसूर का आयात किया गया।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले के सचिव का कहना है कि इन दोनों देशों से मसूर का निर्बाध आयात हो रहा है। मसूर के उद्गम (निर्यातक) देश के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाता है और केवल इसकी अच्छी क्वालिटी पर जोर दिया जाता है।
सरकार ने तीन प्रमुख दलहनों पर आयात शुल्क को समाप्त कर दिया है और आयातकों को किसी भी देश से असीमित मात्रा में इसे मंगाने की खुली छूट दे रखी है।
घरेलू उत्पादन में गिरावट आने से दलहनों के दाम में हाल के महीनों में आई जबरदस्त तेजी के कारण आम उपभोक्ताओं को काफी कठिनाई हो रही है जिससे सरकार की चिंता बहुत बढ़ गई है।
सरकार के पास करीब 27 लाख टन चना के साथ कुल मिलाकर लगभग 40 लाख टन दलहनों का बफर स्टॉक मौजूद है। नैफेड द्वारा खुले बाजार में नियमित रूप से चना की बिक्री की जा रही है जिससे इसके दाम में कुछ हद तक स्थिरता आ गई है।
उपभोक्ता मामलात सचिव के अनुसार घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए तुवर एवं उड़द का आयात भी बढ़ाया जा रहा है। सरकार के पास चना का विशाल स्टॉक है जबकि मूंग का स्टॉक भी बढ़ा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान देश में 260.50 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ जिसमें चना की भागीदारी करीब 50 प्रतिशत रही।
भारत में चना तथा मूंग का पर्याप्त उत्पादन होता है और वह इसमें आत्मनिर्भर है। मूंग के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि चना के आयात पर 66 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है।