iGrain India - नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने पिछले सप्ताह 2023-24 के मौजूदा खरीफ सीजन के लिए विभिन्न फसलों के उत्पादन का जो पहला अग्रिम अनुमान जारी किया है उसमें अधिकांश फसलों की पैदावार 2022-23 के खरीफ उत्पादन से कम होने की संभावना व्यक्त की है।
इससे कृषि विशेषज्ञों को कोई हैरानी नहीं हुई है क्योंकि इस वर्ष अल नीनो मौसम चक्र की वजह से दक्षिण-पश्चिम मानसून काफी कमजोर रहा और अगस्त के महत्वपूर्ण महीने में भयंकर सूखा पड़ने से फसलों को भारी क्षति हुई।
कुछ समीक्षकों का मानना है कि खरीफ फसलों का वास्तविक उत्पादन सरकार के इस प्रथम अग्रिम अनुमान से भी कम होने की संभावना है और शायद आगामी उत्पादन अनुमान में इसे सही किया जा सकता है।
अरहर (तुवर) का उत्पादन अनुमान जरूर हैरान करने वाला है इसलिए इसके आंकड़ों में संशोधन परिवर्तन की संभावना ज्यादा है।
जुलाई में देश के अंदर सामान्य औसत से काफी अधिक वर्षा हुई मगर अगस्त में राष्ट्रीय स्तर पर 32 प्रतिशत और कई महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों में 50 से 75 प्रतिशत तक कम बारिश दर्ज की गई।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार खरीफ फसलों के उत्पादन में गिरावट आने का जो अनुमान लगाया गया है वह आश्चर्यजनक नहीं है बल्कि अच्छी बात यह है कि सरकार ने सही आंकड़ा जारी करने का महत्व अनुभव कर लिया है।
जहां तक तुवर का सवाल है तो इसका सरकारी उत्पादन अनुमान सही प्रतीत नहीं होता है। इसका घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा है और आगे भी इसमें तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने की उम्मीद है।
तुवर के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने तथा प्रतिकूल मौसम से दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में फसल को भारी नुकसान होने के बावजूद सरकार ने इसका उत्पादन गत वर्ष से बेहतर होने का अनुमान लगाया है जो समझ से परे है।
शीर्ष व्यापारिक संगठन- इंडिया पल्सेस एन्ड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चेयरमैन बिमल कोठारी का कहना है कि तुवर के प्रथम अग्रिम उत्पादन अनुमान और पिछले वर्ष के अंतिम उत्पादन अनुमान के बीच बहुत ज्यादा अंतर नहीं है।
यद्यपि सितम्बर की बारिश से फसल को कुछ राहत मिली थी लेकिन अक्टूबर के शुष्क एवं गर्म मौसम से तुवर की हालत कमजोर पड़ गई। इसे देखते हुए उत्पादन का वास्तविक अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। इसमें कोई संदेह नहीं कि तुवर की फसल पर अल नीनो मौसम चक्र का गहरा प्रतिकूल असर पड़ा है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान के अनुसार प्रथम अग्रिम अनुमान में तुवर का उत्पादन आंकड़ा ऊंचा प्रतीत होता है जबकि उड़द एवं मूंग का उत्पादन काफी हद तक वास्तविकता के नजदीक लगता है।
चालू खरीफ सीजन के दौरान तुवर का घरेलू उत्पादन 30 लाख टन से कम होने की संभावना है। कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में उत्पादन निश्चित रूप से कम होगा।