iGrain India - अहमदाबाद । गुजरात कॉटन एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान कपास की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण टेक्सटाइल उद्योग पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ा और इसका निर्यात भी प्रभावित हुआ।
इससे टेक्सटाइल मिलों के साथ-साथ राज्य के कपास उत्पादकों को नुकसान हुआ। अत्यन्त ऊंचे दाम के कारण कपास के निर्यात में जोरदार गिरावट दर्ज की गई। इसकी मात्रा 2022-23 में घटकर 14.66 लाख गांठ पर सिमट गई जो पिछले 15 वर्षों का सबसे निचला स्तर है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है और विश्लेषकों का मानना है कि चुनौतीपूर्ण अवधि आगामी समय में भी अधिकांश रह सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) की अधिकांश अवधि के दौरान कपास का घरेलू भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य से ऊंचा बना रहा और इसलिए इसके निर्यात में भारी गिरावट आ गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 सीजन के दौरान देश से केवल 14.66 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) कपास का निर्यात संभव हो सका जबकि 2021-22 के सीजन में करीब 42 लाख गांठ तथा 2020-21 के मार्केटिगं सीजन में लगभग 77 लाख गांठ कपास का शिपमेंट किया गया था।
गुजकोट के सचिव के अनुसार नवम्बर 2022 से मई 2023 के दौरान कपास उत्पादकों एवं मिलर्स के बीच कीमतों के मुद्दे पर विवाद बना रहा। संघर्ष के बावजूद मिलर्स कपास का भारी-भरकम स्टॉक बेचने से बचते रहे जबकि किसान नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए तैयार नहीं थे। इस अवधि के दौरान कपास का भाव 61000-63000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) के बीच घूमता रहा जबकि दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में थोड़े समय के लिए यह कुछ नरम पड़ गया था।
मई के बाद दुविधा ग्रस्त किसानों ने आगे कीमतों में ज्यादा तेजी आने की उम्मीद नहीं देखते हुए अपनी कपास के स्टॉक की बिक्री आरंभ कर दी जिससे इसकी कीमतों में नरमी आने लगी कपास का भाव गिरकर 56,000 से 60,000 रुपए प्रति कैंडी के बीच आ गया।
2022-23 सीजन की पूरी अवधि के दौरान गुजरात में करीब 92 लाख गांठ कपास की प्रेसिंग हुई जबकि 2021-22 सीजन में इसकी मात्रा 74 लाख गांठ तक ही पहुंची थी।
विभिन्न राज्यों में कपास के नए माल की आवक पहले ही शुरू हो चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी औसत दैनिक आवक 80 हजार गांठ के करीब पहुंच गई है। गुजरात की मंडियों में रोजाना लगभग 25 हजार गांठ कपास की आपूर्ति हो रही है।