iGrain India - राजकोट । देश के पश्चिमी प्रान्त- गुजरात में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीफ कालीन दलहन-तिलहन फसलों की खरीद की प्रक्रिया पांच दिन पहले ही शुरू हो चुकी है लेकिन सरकारी क्रय केन्द्रों पर पसरे सन्नाटे को देखते हुए प्रतीत होता है कि राज्य के किसान समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द एवं मूंगफली बेचने के इच्छुक नहीं हैं।
अब तक इन क्रय केन्द्रों पर महज 10 हजार टन सोयाबीन की ही खरीद संभव हो पाई है। वैसे भी इस बार सरकारी एजेंसी को अपना उत्पाद बेचने के इच्छुक नहीं हैं।
अब तक इन क्रय केन्द्रों पर महज 10 हजार टन सोयाबीन की ही खरीद संभव हो पाई है। वैसे भी इस बार सरकारी एजेंसी को अपना उत्पाद बेचने के लिए बहुत कम संख्या में किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है लेकिन क्रय केन्द्रों पर इतना सूनापन होने की कल्पना सरकार ने भी नहीं की थी।
चूंकि एक भी किसान इन क्रय केन्द्रों पर मूंगफली, उड़द एवं मूंग बेचने के लिए अब तक नहीं पहुंचा है इसलिए अधिकारियों ने कहना शुरू कर दिया है कि इन जिंसों का खुला बाजार भाव ऊंचा होने से ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के कृषि मंत्री ने गत 21 अक्टूबर को राजकोट में कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के पुराने परिसर में नैफेड के राज्यव्यापी खरीद प्रक्रिया की शुरुआत की थी।
नैफेड इस बार भी गुजरात राज्य सहकारी विपणन महासंघ के साथ मिलकर राज्य में दलहन-तिलहन की खरीद करने में व्यस्त है मगर सोयाबीन को छोड़कर अन्य किसी जिंस की खरीद में उसे सफलता नहीं मिल रही है।
प्रांतीय एजेंसी के साथ मिलकर मूंगफली तथा एलएफपीओ के साथ मिलकर मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की खरीद का प्रयास किया जा रहा है।
सौराष्ट्र एवं उत्तरी गुजरात के 12 जिलों में मूंगफली के लिए 24 क्रय केन्द्र खोले गए है लेकिन अभी तक वहां एक भी किसान नहीं पहुंचा है। यही स्थिति मूंग एवं उड़द की भी है। लेकिन सोयाबीन की थोड़ी-बहुत खरीद हो रही है।