iGrain India - बंगलोर । कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि यद्यपि कावेरी वाटर रेग्युलेशन कमिटी ने तमिलनाडु के लिए कृष्णा राजा सागर बांध से पानी छोड़ने का निर्देश दिया है लेकिन कर्नाटक सरकार ऐसा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि कावेरी नदी का जल स्तर काफी घट गया है। कृष्णा राजा सागर बांध में पानी का इतना भंडार नहीं है कि उसे तमिलनाडु को उपलब्ध करवाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि रेग्युलेशन कमिटी ने 1 से 15 नवम्बर के दौरान प्रत्येक दिन तमिलनाडु को 2600 क्यूसेक पानी देने के लिए कर्नाटक को कहा था लेकिन कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री, जो जल संसाधन मंत्री भी हैं, ने असहाय व्यक्त करते हुए कहा है कि कर्नाटक के कावेरी बेसिन में पानी का स्टॉक ही उपलब्ध नहीं है।
कृष्णा राजा सागर डैम से पानी का प्रवाह लगभग बंद हो गया है। इसके बावजूद तमिलनाडु के लिए काबिनी तथा कृष्णा राजा सागर जलाशय से प्राकृतिक रूप से 815 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा है। वर्तमान समय में कर्नाटक में केवल 51 टीएमसी फीट पानी का भंडार है जो केवल पेयजल उद्देश्य के लिए पर्याप्त है और इसे बचाने की आवश्यकता है।
कर्नाटक सरकार ने रेग्युलेशन कमिटी के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया है और इसकी सूचना कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण तक पहुंचाने का आग्रह भी किया है कि कर्नाटक अपने जलाशयों से तमिलनाडु को पानी छोड़ने में समक्ष नहीं हो पाएगा।
लेकिन उद्गम क्षेत्रों से पानी का जो स्वाभाविक प्रवाह हो रहा है उसे भी नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करेगा। ज्ञात हो कि तमिलनाडु ने अगले 15 दिनों तक रोजाना 13000 क्यूसेक पानी उपलब्ध करवाने की मांग की थी जिसकी कुल मात्रा 16.9 टीएमसी फीट बैठती है। लेकिन रेग्युलेशन कमिटी ने कर्नाटक को 1 नवम्बर से 15 दिनों तक तमिलनाडु को प्रतिदिन 2600 क्यूसेक पानी देने का निर्देश दिया था।
दरअसल दक्षिणी राज्यों में मानसून सीजन के दौरान वर्षा बहुत कम होने के कारण अनेक महत्वपूर्ण बांधों- जलाशयों में पानी का भंडार काफी घट गया है जिससे फसलों की सिंचाई के लिए पानी की अत्यन्त सीमित आपूर्ति हो रही है।
अब उत्तर-पूर्व मानसून का ही सहारा है। इस मानसून से दक्षिण भारत में अच्छी वर्षा होती है। यदि नवम्बर-दिसम्बर के दौरान अच्छी बारिश हुई तो वहां पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और कावेरी जल विवाद कुछ समय के लिए शांत पड़ जाएगा।