iGrain India - लखनऊ । कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिन चीनी मिलों ने गन्ना उत्पादकों के बकाए का भुगतान नहीं किया है उसके पास मौजूद चीनी तथा अन्य उत्पादों की बिक्री की जाए और उससे प्राप्त धनराशि से किसानों के बकाए का भुगतान किया जाएगा।
इस निर्देश के बाद राज्य सरकार ने डिफॉल्टिंग समूहों की चीनी मिलों में उपलब्ध चीनी के स्टॉक, शीरा, लुगदी एवं अन्य सह उत्पादों को रिलीज़ करना शुरू कर दिया। समझा जाता है कि कम से कम सात कंपनियों की चीनी मिलें अब तक गन्ना किसानों के सम्पूर्ण बकाए का भुगतान नहीं कर पाई हैं।
सरकारी प्रवक्ता के सम्बन्धित अधिकारियों से कहा गया है कि अगर चीनी मिलें दिशा- निर्देशों का अनुपालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई आरंभ की जानी चाहिए और बकाया भुगतान के लिए उसे रिकवरी सर्टिफिकेट जारी की जानी चाहिए।
राज्य सरकार के अनुसार बजाज ग्रुप ने करीब 5.25 लाख किसानों के बैंक खाते में 1371 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिया है जो 2022-23 के क्रशिंग सीजन के लिए उसकी चीनी मिलों पर बकाया था।
इसके तहत बजाज ग्रुप के गगनौली (सहारनपुर), थाना भवन (शामली), भाईसाना (मुजफ्फरनगर), किनौनी (मेरठ), बिलाई (बिजनौर) बारखेड़ा (पीलीभीत), मकसूदपुर (शाहजहांपुर), गोला गोकरण नाथ, पालिया कलां, खांभर खेड़ा (लखीमपुर खीरी) कुन्दरखी, गोंडा, इतामैदा (बलरामपुर) और प्रतापपुर (देवरिया) स्थित चीनी मिलों ने गन्ना किसानों की बकाया राशि का भुगतान कर दिया है।
राज्य सरकार चाहती है कि जिन अन्य कंपनियों की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया मौजूद है उसका भुगतान यथाशीघ्र सुनिश्चित किया जाए ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके।
अब उत्तर प्रदेश में 2023-24 के लिए गन्ना पेराई का नया सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो गया है और सरकार गन्ना के राज्य समर्थित मूल्य (सैप) में कुछ बढ़ोत्तरी करने का प्लान बना रही है।