iGrain India - जूनागढ़ । एक महत्वपूर्ण उद्योग संस्था- सौराष्ट्र ऑयल मिलर्स एसोसिएशन (सोमा) का कहना है कि गुजरात के किसान जब विस्तारित रबी सीजन (ग्रीष्मकालीन या जायद सीजन) में मूंगफली की खेती के लिए प्लान बनाएंगे तब उन्हें काफी सोच समझकर निर्णय लेना पड़ेगा।
दरअसल इस वर्ष खरीफ सीजन के दौरान राज्य में जून-जुलाई में मानसून की काफी अच्छी बारिश हुई और जल स्रोत में पानी का अच्छा स्टॉक जमा हो गया।
अगस्त में जब सम्पूर्ण देश सहित गुजरात में भी भयंकर सूखा पड़ा तब किसानों ने इन जल स्रोतों के पानी का इस्तेमाल करके अपनी मूंगफली की फसल को बर्बाद होने से बचा लिया।
अब राज्य के प्रमुख उत्पादक इलाकों और खासकर सौराष्ट्र संभाग में पानी का ज्यादा स्टॉक उपलब्ध नहीं है क्योंकि इसके अधिकांश भाग का उपयोग पहले ही किया जा चुका है इसलिए फरवरी-मार्च में जब ग्रीष्मकालीन सीजन के लिए मूंगफली की बिजाई शुरू होगी तब किसानों को काफी सतर्क रहना पड़ेगा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि चालू खरीफ सीजन के दौरान गुजरात में मूंगफली का रकबा गत वर्ष के 17.09 लाख हेक्टेयर से गिरकर 16.35 लाख हेक्टेयर रह गया लेकिन फिर भी राज्य कृषि विभाग, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) तथा सौराष्ट्र ऑयल मिलर्स एसोसिएशन (सोमा) ने वहां मूंगफली का उत्पादन पिछले सीजन से बेहतर होने की उम्मीद व्यक्त की है क्योंकि इसकी औसत उपज दर में बढ़ौत्तरी हुई है।
अगस्त के शुष्क एवं गर्म मौसम में भी मूंगफली की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। सोमा ने गुजरात में मूंगफली का उत्पादन पिछले सीजन के 29.06 लाख टन से बढ़कर चालू सीजन में 30.92 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है।
इसी तरह वहां मूंगफली की औसत उपज दर 1700 किलो प्रति हेक्टेयर से सुधरकर 1891 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है। ध्यान देने की बात है कि कृषि विभाग एवं 'सी' ने भी ऊंची उपज दर की संभावना जताई है अगर उसका आंकड़ा सोमा के आंकड़े से भिन्न है।
उद्योग समीक्षकों का कहना है कि ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बिजाई शुरू होने से अभी करीब तीन महीने की देर है। यदि इस बीच वहां शीतकालीन बारिश हुई तो किसानों का रुझान बाढ़ सकता है क्योंकि खुले बाजार में मूंगफली एवं इसके तेल का भाव ऊंचा रहने की उम्मीद है।