iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने चालू खरीफ सीजन के दौरान तुवर का घरेलू उत्पादन पिछले सीजन से बेहतर होने का जो अनुमान है उससे तमाम विश्लेषक- समीक्षक न केवल हैरान बल्कि असहमत भी हैं।
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चेयरमैन का कहना है कि उत्पादन की वास्तविक तस्वीर दिसम्बर-जनवरी में नई फसल कटाई-तैयारी शुरू होने के बाद ही सामने आएगी और तब तक इंतजार करना ठीक रहेगा।
यदि 34 लाख टन के सरकारी उत्पादन अनुमान को सही माना जाए तब भी देश में करीब 12 लाख टन तुवर का अभाव रहेगा क्योंकि घरेलू खपत बढ़कर 46 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है।
इस 12 लाख टन की कमी को आयात के जरिए पूरा करना होगा और इसलिए तुवर के दाम में ज्यादा गिरावट आना मुश्किल लगता है। अफ्रीका तथा म्यांमार से तुवर के आयात की गति भी कुछ धीमी है।
एक अन्य समीक्षक के अनुसार चालू वर्ष के दौरान मानसून कमजोर रहा और अगस्त के शुष्क एवं गर्म मौसम ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। तुवर की फसल को प्रतिकूल मौसम से काफी क्षति हुई। राष्ट्रीय स्तर पर इसका बिजाई क्षेत्र भी घट गया।
सितम्बर में कुछ बारिश हुई मगर अक्टूबर का महीना काफी हद तक सूखा रहा। इससे तुवर की औसत उपज दर में गिरावट आने की संभावना है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में फसल की हालत कमजोर है।
व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि तुवर का वास्तविक उत्पादन 30 लाख टन से भी कम हो सकता है। उम्मीद की जा रही है कि कृषि मंत्रालय जब दूसरा अग्रिम अनुमान जारी करेगा तब तुवर के उत्पादन आंकड़े की समीक्षा करके उसमें आवश्यक कटौती कर सकता है। अफ़्रीकी देशों से तुवर के आयात में कुछ बाधा पड़ रही है जबकि म्यांमार में इसका स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है।